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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिरसे चोट करना (४) [ब०व०] गोषो पुं० साड़ व्यर्थ श्रम करना (५) भुलावा; धोखा गोफण स्त्री० गोफन; गोफना; ठेलवास खाना [ला. [-सावं-पोखा खाना गोफणियो पुं० गोफनसे फेंकनेका ढेला; (२) लुढ़क जाना (३) कला- गुल्ला (२) ला (व्यंग्यमें) बाजी करना। -भार3 (सींगवाले .. गोबर न० गोबर (२)उपलोंका चूरा प्राणीका) सिरसे चोट करना । गोया गोबरं वि० गेंदला; गंदा (२)न० गोबर सावां = व्यर्थ श्रम करना. गोबावं अ० क्रि० पिचकना पोद स्त्री० पोद गोबो पुं० पटकनेसे धातुकी चीजोंका गोद (द,) स्त्री० बार-बार टोकना; पिचकना दखल; अंतराय । [-घालवी = बाधा गोयगी (गाँ) स्त्री० सौभाग्यवती स्त्री खड़ी करना या रोड़ा डालना.] (२) व्रतके निमित्त भोजनके लिए गोरडी स्त्री० गद्दी (२) गुदड़ी (३.) गल- बुलाई गई सौभाग्यवती स्त्री कंबल बिछानेका) गोयरो(गो) स्त्री० गौरी-पार्वतीका व्रत गोबडं न० गद्दा; गदेला (ओढ़ने और । गोर (गों) पुं० पुरोहित (२)पंडा गोववणी स्त्री० दखल; अंतराय; अड़चन गोर पुं० (उपलोंका)चूरा गोद स० क्रि० गोड़ना; खोदना गोर(गो) स्त्री० देखिये 'गोरमा' गोदाव, स० कि० चूंसे मारना (२)बार गोरख आमली स्त्री० एक पेड़ बार कहना; टोकना विलायती इमली (२) उसका फल गोदाम स्त्री०; न० गोदाम; मालखाना गोरखधंधो पुं० गोरखपंथी साधुओंका गोदाव स० क्रि० गोड़वाना (२) चूंसे बहुत कड़ियोंवाला डंडा; गोरखधंधा मारना (३) टोक-टाककर सावधान (२)एक ही कामकी निरर्थक पुनराकरना [ला.] वृत्ति ला. [भागे मागे गोरख बागे गोदी स्त्री० गोदी; नौनिवेश (जहाज -आगेकी बात आगे सोची जायेगी। आदिका) (२)गोदाम आगे देखा जायेगा.] ..... गोबो पुं० चुभे या गड़े ऐसी उमरी गोरण स्त्री० गोरज (२) संध्या-बेला हुई चीज; गाँठ; आँख (२)मुक्का; । वाला लग्न चूंसा (३) नुक़सान; धक्का [ला.]। गोरणलग्न न० गोधूलीके समय होने[-मारवो= घूसा लगाना (२)नुकसान गोरजी (गो) पुं० जैन साधु पहुंचाना.] गोरट(-टियं,-5) वि. गोरा गौरवर्ष गोषण न० गोधन; गायोंका समूह गोरपदं (गाँ) न० पुरोहिताई; यजमानी गोवलियं न छोटा सांड; बछड़ा गोरमटी स्त्री. लाल-पीली मिट्टी मिट्टी पोषा(-)लगन न० गोधूलीके समय गोरमा (गॉर,) स्त्री० गौरी; पार्वती होनेवाला लग्न (२) कुंबारियोंका गौरी-पूजनका व्रत बोधू न० देखिए 'गोलियु' गोरसी स्त्री०, गोरखं न० .बही, दूध गोधूम पुं० ब०व० गेहूँ; गोधूम रखनेका मिट्टीका पात्र; दोहनी गु.हि-१० For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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