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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गांठगळफो १३८ गांयको मैवरी (५)गाँठकी शकलकी जड़ (जि- गट्ठा (२) बेसनकी तली हुई एक समेंसे अँखुआ फूटता है) (५)लहू जम चीज़ ; गांठिया (३) बड़ी गांठ (४)वि० जानेसे शरीरमें होनेवाली गांठ; गुल- गांठसे संबंधित; गांठदार; उदा. थी; गिलटी (६)एक रोग; प्लेगकी 'गांठियो ताव.' गिलटी (७) [ला०] बैर; कीना(८) गांठ (0) अ० गिरहमें ; कब्जे में। [-करवं मेल; गठीती। -करवी = छिपे तौर = अपने कब्जे में लेना; गाँठ करना. पर पैसा इकट्ठा करना; गांठ करना गांठगे (०) पुं० बड़ी गांठ; पोरोंके (२)एका करना (३)बैर मोल लेना। जोड़के पासका हिस्सा -पालवी = लड़का गांठके रूपमें जम गांड() स्त्री० गांड़; गुदा (२)पेंदा; जाना (२) गिल्टीकी पीड़ा होना। तला [स्त्री० पागलपन -नीकळवी = प्लेग होना। -पस्वी = गांग्छा(०) स्त्री०,(-पण)न०, गांगई (दोरीमें) गांठ पड़ना (२) मित्रता गांग्यिं (०) बौड़म ; पागल; सनकी होना (३) बैर होना; गांठ पड़ना। गांडं वि० पागल; घनचक्कर; नासमझ; -वाळीनिश्चय करना; गांठना सनकी (२)न० मूर्खताका काम या आ[ला.]। -गोपीचंदन कर के चरण (३)(चौसर आदिमें) पक जाने घस - खुदके पैसे खर्च करके खुदका पर गोटको उलटी चलाना।[-कावं ही नुकसान करना। गांठे करवं = नासमझीका काम करना (२)गोटीदेखिये 'गांठ करवी' । गांठे बांध को उलटी चलाना । -गाईपई ज= - अपने कब्जे में करना; गांठ बांधना.] बाछे खिलना.] गांठगळफो (०) पुं० गाँठ या फुचड़ा गाउँघेल (०) वि० गहेला; पागल-सा (सूतके धागेमें) (२)खटका; संशय गांरंतुर (0) वि. निरा पागल गांठडी (०) स्त्री० गठरी (२)गठरी; धन गांदरं (०) न०, (-रो) पुं० गांवके गांठटो (०) पुं० गट्ठर; गट्ठा पशुओंके खड़े होनेकी सिवानके गांठन(०) न० जोड़; संधि (२) दो पासकी जगह; रहावन (२) गांवके तारोंको जोड़नेवाली गांठ (३) गांठ- बाहरकी खुली जमीन; सिवान नेके धागे (४)गांठनेकी कला गांधियाटुं(-) (०) न० देखिये गांगांठy(०) वि० गांठका। [-उमेर धीवटुं '(२)बिना क्रमकी मिलावट; नमक-मिर्च मिलाना । गोपीचंदन खिचड़ी होना कर अपने ही पैसे खर्च करके अपना गांधी (०) पुं० पंसारी (२)एक अल्ल ही नुकसान करना.] . गांधीवटुं (०)न०,(-टो)पुं० पंसारीका गांठy(०) स० क्रि० गांठना (२) गाँठ पेशा (२) सबका थोड़ा-थोड़ा ज्ञान लगाना (३)गांठ करना (४)बदना; होना [ला.] समझना गांयजण, गांयजी (गा'०) स्त्री० नाइन गांठगळ (०) वि० गांठदार गांयजो (गा'०) पुं० नाई (२)आडंबरी गांठियो (०) पुं० सुखाई हुई हलदीका व्यक्ति [ला.] For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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