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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बेरो मेरो (ख) पुं० डोरियोंको गूंथकर बनाया हुआ जालीदार थैला मेरो (ख) पुं० झाड़न; चूरा खेल पुं० खेल खेल-कूद (२) तमाशा; करतब; दृश्य नाटक; भौड़का खेल (३) रचना; लीला [ला.] । [-काडबो = -का नाटक खेलना; अभिनय करना । —बेलवो = खेल खेलना. ] लबिली स्त्री० दिलमें खेलके प्रति प्रसन्न भाव होना लवं अ० क्रि० खेलना (२) खेल खेलना बेलाडी वि० खेला-खाया; चतुर; मुत्सद्दी (२) पुं० खेलनेवाला; नट; खेलाड़ी; खिलाड़ी सेबना स्त्री० सोच; चिता; परवाह सेस पुं० दुपट्टा; उपरना सब स० क्रि० खिसकाना; हटाना सेसियुं न० दुपट्टेकी तरह काम आनेवाला चादर जैसा वस्त्र; खेस मेह स्त्री० खेह; धूल; रज ( २ ) पुं० क्षय खेळ (ख) स्त्री० माँड़ी (०) स्त्री० खिचाव ; तनाव (२) आग्रह (३) कमी; तंगी संचताण (०) स्त्री० खींचा-तानी (२) आग्रह [ला. ] चबुं ( खे०) स० क्रि० खींचना ; घसीटना (२) कसमा; चुस्त करना (३) आग्रह करना; आग्रहपूर्वक पकड़े रहना (४) चूसना ; रस निकाल लेना; निचोड़ना । [ खेची झालबुं, पकड, राज = खींचकर सख्त पकड़ना (२) (अपनी बातका) आग्रह रखना; ढील न देना; बात नीचे न डालना. ] चा (०) स्त्री० खींचा-खींची; कशमकश १२४ सोचई संचाच (बी) (०) स्त्री० सींचातानी (२) आग्रह Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संचाण (०) न० देखिये 'खेंच' संचताण (०) स्त्री० खींच-तान खंड स्त्री० सूखने देना; पानी न देना (२) अवर्षण; सुखा डियं वि० जलहीन; जो सींचा न जाता हो (खेत) (२) न० सूखा (वर्ष) (खो') स्त्री० लत; आदत (२) द्वेष; बैर; जलन । [-भुलाववी = सबक सिखाना; लत छूट जाय ऐसा करना । - भूली जवी = (जिन्दगीके लिए) सबक मिलना. ] खो (खो' ) स्त्री० खाई; खोह; कंबरा खो (खो' ) स्त्री० एक खेल (२) उस खेलमें प्रयुक्त बोल सोई स्त्री० बच्चेको सुलाने के लिए बनाई या लटकाई हुई झोली [ चीज बोल न० बड़े क़दकी मगर खोखली लोल वि० जिसमेंसे मोटी और कर्कश आवाज निकले ऐसा (२) जो कुछ टूटा-फूटा हो बोद्धुं न० जिसका सार-सत्व निकाल लिया गया हो ऐसी खोखली चीज (२) भीतरका सामान निकाली हुई हलकी पेटी, बक्स आदि (३) काग़ज़ और कपड़ा लेईसे चिपकाकर बनाया हुआ पगड़ीका आकार; टुकड़ोंकी बनाई हुई पगड़ी (४) अदा हुई हुंडी; खोखा (५) नमूना; प्रतिकृति ; ढाँचा (६) खरी; मसौदा (७) कलेवर; कंकाल खोलो स्त्री० एक खेल सोच (ख) वि० पोला (२) दांतेदार (३) न० लोह (४) पुराना जमाना For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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