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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कारटियो कारटियो, कारटुं देखिये 'कायटियों', 'काय' कारटून न० कारटून; व्यंग्यचित्र कारण न०कारण; सबब ; निमित्त ( २ ) हेतु; उद्देश्य (३) जरूरत ; मतलब ( ४ ) भूतप्रेतादिके कारण होनेवाली व्यथा (५) अ० क्योंकि ;, कारण यह कि कारण के अ० कारण यह कि; इसलिए कि; क्योंकि कारणभूत वि० कारण-साधनभूत बना हुआ; निमित्तरूप बना हुआ कारणवशात् अ० कारणवश कारणसर अ० के कारण कारतक पुं० कातिक; कार्तिक मास कारतकी वि०कार्तिकका; कार्तिकसंबंधी कारतूस स्त्री० कारतूस कारभार पुं० कार-बार; कारोबार (२) बड़ा व्यवसाय या उद्योग कारभारी पुं० कार-बार चलानेवाला; कारबारी (२) दीवान; व्यवस्थापक कारभारं न० कारबारीका काम;वजारत कारमुं वि० भयानक (२) कूट प्रकृतिवाला; अद्भुत [(२) तूफ़ान; शरारत कारस्तान न० कारस्तानी; चालबाज़ी कारस्तानी वि० कारस्तानी करनेवाला कारी वि० भयंकर ; कंपा देनेवाला ( २ ) घातक; मारक; कारी (चोट) कारी स्त्री० युक्ति; तदबीर कारीगर पुं० कारीगर; दस्तकार (२) "कल, मशीन आदिको चलानेवाला (३) हर फ़न मौला - किसी भी हुनरमें प्रवीण व्यक्ति कारीग ( गी) री स्त्री० कारीगरका कलात्मक काम; कारीगरी; रचना (२) कारीगरी; कला-कौशल ; चालाकी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळुं कारेली स्त्री० करैलेकी बेल; करैली कारेलुं न० करेला ; करैला कारोबार पुं०कार- बार ; कारोबार कारोबारमंडळी स्त्री० कार्यकारिणी सभा कारोबारी वि० कारोबारका ; कारोबार से संबद्ध (२) स्त्री० कार्यकारिणी सभा कार्यवाहक वि० कार्यवाहक (२) पुं० कारभारी कार्यवाहकसभा स्त्री० कार्यकारिणी सभा कार्यवाही स्त्री० कार्य चलानेकी रीति; 'प्रोसिजर' ( २ ) कार्यवाही; कार्यक्रम कार्यसाधकसंख्या स्त्री० गणपूर्ति; 'कोरम' काल (ल.) स्त्री० कल (दिन) (२) अ० अगले या पिछले दिन; कल (३) अभी थोड़े दिन पर; बादमें काल पुं० काल; समय ( २ ) समयका विभाग; बेला (३)मृत्यु; अंत (४) मौसम कालपण न० बच्चोंका-सा बरताव ; बालकपन कालबूत न० कालबूत; कालबुद ( २ ) घाट; ठप्पा ; साँचा (३) जड़; बहाना (झगड़ेका) [ घोंटना ; पीसना कालव स०क्रि० तरल पदार्थ मिलाकर कालापणुं न० देखिये 'कालपण' कालावाला पुं० ब० व० गिड़गिड़ाहट; चिरौरी; आजिज़ी कालां न० ब० व० बालकपन; लाड़ । [ - काढत्र = बच्चोंका-सा बरताव करना; लाड़.] कालांतरे अ० बहुत लंबे अरसे -युगोंके बाद (२) कालांतर में ( ३ ) कभी [ला. ] काल ( -लींगडुं न० कलिंग; तरबूज़ कालुं वि० बालककी बोलीके जैसा टूटाफूटा अस्पष्ट और मधुर; रूठता, For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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