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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अथ दशमो वर्गः प्रारभ्यते - दसमस्स ' इत्यादि । मूलम् - दसमस्स उक्खेवओ, एवं खलु जंबू ! जाव अटू अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा - कण्हा य कण्हराई रामा तहरामरक्खया वसूय । वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा चेव ईसाणे ॥१॥ पढमज्झयणस्स उक्खेवओ, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कण्हादेवी ईसाणे कप्पे कण्हवडेंसर विमाणे सभाए सुहम्माए कण्हसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए एवं अडवि अज्झयणा कालीगमएणं णेयव्वा णवरं पुव्वभवे वाणारसीए नयरीए दो जणीओ रायगिहे नयरे दो जणीओ सावत्थीए नयरीए दो जणीओ कोसंबीए नयरीए दो जणीओ, रामे पिया धम्मा माया सव्वओऽवि पासस्स अरहओ अंतिए पव्वइयाओ पुष्फलाए अजाए सिस्सिणीयत्ताए ईसाणस्स अग्गमहिसीओ ठिई णव पलिओ माई महाविदेहे वाले सिज्झिहिंति बुज्जिहिंति मुच्चिहिंति सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति । एवं खल जंबू ! णिक्खेवओ दसमवग्गल ॥ सू० १५ ॥ ॥ दसमो वग्गो समत्तो ॥ १० ॥ છે. આ બધી મહાવિદેહ मोनो मत ४२ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाताधर्मकथासूत्र टीका- --' दसमस्से ' ति दशमस्य उत्क्षेपकः । एवं खलु हे जम्बूः ! यावत् अष्ट- अध्ययनानि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - तानि गाथया प्रदर्श्यन्ते ' कण्हे ' स्यादि । सब महाविदेह क्षेत्र से सिद्ध अवस्था प्राप्त करेंगी - यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेंगी । सू०१४ ॥ ॥ नवमवर्ग समाप्त ॥ નવમા વર્ગ સમાપ્ત. म For Private and Personal Use Only ક્ષેત્રમાંથી સિદ્ધ અવસ્થા પ્રાપ્ત કરશે યાવત્ સવ सूस१४ ॥
SR No.020354
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages872
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size26 MB
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