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शीताधर्मकथासूत्रे
उवागच्छइ उवागच्छित्ता आमलकप्पं णयरि मज्झमज्झेणं जेणेव वाहिरिया उवद्वाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता ध. म्मियं जाणपवरं ठवेइ ठवित्ता धम्मियाओ जाणप्पराओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता जेणेव अम्मापियरा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल० एवं वयासी एवं खलु अम्मयाओ ! मए पास अरहओ अंतिए धम्मं णिसंते सेऽवि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तएणं अहं अम्मयाओ ! संसार भउविग्गा भीया जम्मणमरणाणं इच्छामि णं तुब्भेहिं अब्भएन्नाया समाणी पासस्स अरहओ अंतिए मुंडा भक्त्तिा अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए, अहासुहं देवाशुप्पिया ! मा पडिबंध करेह, तरणं से काले गाहावई विपुलं असणं४ उवक्खडावेइ उवक्खडावित्ता मित्तणाइ णियगसयणसंबंधिपरियणं आमंतेइ आमंत्तित्ता तओ पच्छा पहाए जाव विपुलेणं पुप्फत्रत्थंगंधमालंकारेण सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्तणाइणियगसयण संबंधिपरियणस्स पुरओ कालियं दारियं सेयापीए हिं कलसेहिं पहावेइ पहावित्ता सव्वालंकारविभूसियं करेइ करिता पुरिस सहरसवाहिणियं सीयं दुरोहेइ दुरोहित्ता मित्तणाइणियगसयांसंबंधिपरियणं सद्धिं संपरिवुडे सविडीए जाव खेणं आमलकप्पं नयरिं मज्झं मज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव अंबसालवणे चेइए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता छत्ताइए तित्थगराइसए पासइ पासित्ता सीयं ठावेइ ठावित्ता
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