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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org કાર ज्ञाताधर्मकथान सु " पचिदियसरीरे ' अहीनपञ्चेन्द्रियशरीरः=प्रतिपूर्णसर्वेन्द्रिशरीर', 'मंसोचिए ' मांसोपचितः = मांसैरुपचितः पुष्टशरीर इत्यर्थः पुनः बालकीलावणकुसले ' बालक्रीडनकुशलचापि आसीत् । ततः खलु स दासचेटः सुमाया दारिकायाः ' बालग्गाहे ' बालग्राहः यो हि बालक्रीडयितुं नियुक्तो भृत्यः स ' बालग्राहः इत्युच्यते जाताश्वाप्यभवत् । सहि चिलातः सुसुमां दारिकां कटri गृह्णाति, गृहीवा, बहुभिर्दारकै दारिकाभिश्च बालकैश्च बालिका मिश्र, डिम्भकैश्च डिम्भकाfor कुमार कुमारिकाभिव सार्द्धम् = दारकडिभक बालककुमाराणां अल्प, बहु, बहुतर कालकृतभेदो विज्ञेयः, अभिरममाणः २ पुनः पुनः क्रीडन् विहरति । ततः खलु स चिलातो दासवेटः तेषां बहूनां ' दाराण जाव , दारकाणां यावत् = दारकाणां दारिकाणां डिम्भकानां डिम्भिकानां कुमाराणां कुमारिकाणां का नोम चिलात था । जो प्रमाणोपेत पांचों इन्द्रियों से परिपूर्ण शरीर वाला था। मांसोपचित था पुष्ट देहवाला था । यह बालकों को खिलाने में विशेष कुशल था । (तएण से चिलाए दासचेडे सुंसुमाए दारियाए बालग्गाहे जाए याचि होत्था संसुमदारियं कडीए गिव्हर, गिण्हिता बहूहिं, दारएहिं य दारियाहि य........ विहरह-तेसिं बहूणं दारियाण य जाव अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ, एवं वद्दए आडोलियाओ तेंदुए पोतुल्लए साडोल्लए अप्पेगइयाणं आभरणमल्लालंकारं अवहरह, अप्पेगइयाए आउस्सह, एवं अवहरह, निच्छोडेर, निव्भच्छेइ लज्जेह अप्पेगइए तालेह ) इसलिये वह दासचेट सुंसमा दारिका के खिलाने के लिये नियुक्त हो गया। अतः वह चिलान दास चेटक समादारिका को गोदी में लेकर अनेक दारक दारिकाओं के साथ बालक बालिकाओं के साथ डिंभक डिभिकों के साथ और कुमार कुमारिकों Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • નામ ચિલાત હતું. તે સપ્રમાણ પાંચે ઇન્દ્રિયાથી પરિપૂર્ણ શરીરવાળા હતા. તે માંસલ તેમજ પુષ્ટ શરીરવાળા હતા તે માળકાને રમાડવામાં સિવશેષચતુર હતા. For Private and Personal Use Only ܕ ( तरणं से चिलाए दासचेडे सुंसुमाए दारियाए बालग्गा जाए यावि होत्था सुसुम दारियं कडीए गिoes, गिव्हित्ता बहूहिं, दारएदि य दारियाहि य विहरह तेर्सि बहूणं दारियाण य जाव अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ, एवं वह आडोलि - याओ तेंदुए पोल्लए, साडोल्लए, अप्पेगइयाणं आभरणं मल्ला लंकारं अवहरइ, अप्पेगइए, आउस्सार, एवं अनहसइ, निच्छेडे, निव्भच्छेइ, तज्जेइ, अप्पेगइए तालेह) તેથી તે દાસચેર સુંસમા દારિકાને રમાડવા માટે નિયુક્ત કરવામાં આન્યા. આ પ્રમાણે તે ચિલાત દાસ ચેરક ચુંસમા દારિકાને ખેાળામાં એસાચીને ઘણા દ્વારક દ્વારિકાઓની સાથે બાળક તેમજ માળાએની સાથે ડિલક
SR No.020354
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages872
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size26 MB
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