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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२६ शाताधर्मकथासूत्रे करित्ता य कारवित्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तएणं से मंडुए राया दोच्चंपि कोडंवियपुरिसे सदावेइ, सदावित्ता एवं वयासो-खिप्पामेव भो ! सेलगस्त रन्नो महत्थं जाव निक्ख. मणाभिसेयं जहेव मेहस्त तहेव, गवरं पउमावतीदेवी अग्गकेसे पडिच्छइ । सच्चेव पडिग्गहं गहाय सीयं दुरूहति, अवसेसं तहेव जाव सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिज्जइ, अहिन्जित्ता बहहिं चउत्थ जाव विहरइ, तएणं से सुए सेलय. स्स अणगारस्स ताई पंथगपामोक्खाइं पंच अणगारसयाई सोसत्ताए वियरइ, तएणं से सुए अन्नया कयाइं सेलगपुराओ नयराओसुभूमिभागाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहि. या जणवयविहारं विहरइ, तएणं से सुए अणगारे अन्नया कयाई तेणं अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगाम विहरमाणे जेणेव पोंडरीए पव्वए जाव सिद्धे ॥ सू० २८॥ 'तएणं से सेलए ' इत्यादि। टीका-ततः स शैलको राजा मण्डूक राजानमापृच्छति, हे देवानुप्रिय ! अहं दीक्षा ग्रहीष्यामीती । तत : खलु स मण्डूको राजा कौटुम्बिकपुरुपान् आदेश कारिणः पुरुषान् शब्दयति आह्वयति, शब्दयित्या आहृय एवं वक्ष्यमाणप्रकारे___ 'तएणं से सेलए राया ' इत्यादि । टीकार्थ-(तएणं) इसके बाद (से सेलए राया) उस शैलक राजा ने (मंडुयं रायं आपुच्छइ ) मंडूक राजा से पूछा कहा कि हे देवानुप्रिय । मैं दीक्षा संयम लूंगा (तएणं से मंडुए राया कोडुंबिय पुरिसे सहावेह) (तएणं से सेलए राया ) त्यादि टी -(तएण) त्या२ माह (से उएराया) शै१४ २१ मे ( मंडुय राय आपु. छइ) भ ने - देवानुप्रिय ! हुदीक्षा स्वीश. (तएण से मंडुए राया कोडुबियपुरिसे सहावेइ) त्या२ ५७ म २० मे छोटुमि For Private And Personal Use Only
SR No.020353
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages845
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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