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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकघातसमीकरणासम्बन्धि प्रश्न । यहां य = अध्यात संख्या, तब प्रश्न की बोली में '२ य+ य, और १५ ये दोनों पक्ष परस्पर तुल्य हैं। -:. २य+ = १५ यह समीकरण होता है । तब छेवगम से, ४ ,य + य =३०, वा, ५ य = ३०, :. य =६ यह संख्या । यही उत्तर है। क्योंकि २४६+६ = १२ +३ = १५ । प्रश्न २ । जिस संख्या को तिगुनी कर के उस में १७ घटा देओ तो शेष में उस संख्या से ५ अधिक रहता है वह संख्या क्या है? यहां य = अध्यक्त संख्या, तो प्रश्न की बोली के अनुसार ३ य - १७ और य+५ ये दो पक्ष सिद्ध होते हैं। और ये दोनो परस्पर समान हैं। .. ३ य-१७ = य + ५, तब प्रतान्तरनयन से २ य =२२ :: य = ११ अर्थात् वह संख्या ११ है। यह उत्तर।। प्रश्न ३। स इस संख्या के ऐसे दो भाग करो कि पहिले का चतुर्थीश और दूसरे का पञ्चमांश मिलके ५ हो तो वे भाग कौन यहां य= पहिला भाग, और र= दूसरा भाग तब प्रश्न की बोली से, य+र = २१ और य +1र५ य = २१ -र इस उमिति का (२) में उत्थापन करने से, १ (२१-) +9र५, छेदगम से, १०५-५+8र = १०० . र= ५, यह दूसरा भाग है और य = २१ र २१-५- १६ बह पहिला भाग है। For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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