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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२१ অলঙ্ক ঘানমীক্ষায়। वा, ३र३० ::र- १० और य= १५ । अय+करग है इस में य और र क्या है? ) ... उदा० (8) चय+कर-ज) गक-रा अछ-कच (१) से, य=गका (२) में उत्थापन से, चxग-कर+छर =न पृथक्करण मे, र= अज-गच तब य F ग्रछ-कच दस में अ, क, ग, च, छ और ज ये व्यक्त हैं । अब इन में जो प्रत्येक अ, क और च =१ और छ == --१ मानो तो उत्थापन से,य= गछ-कज _-ग - =-पं प = ग+इज और र= अज - गच्च = ज-ग - गज =ग-ज और जो छ = अ, चक और जग मानो तो निर्दिष्ट समो. कर = ग. सभांति के होंगे। का -ग -कन ॥ करया कय+रग। और य= गछ-कज = अग-का=ग ऋछ-कब अ+ क र-अछ-कच % 3D अ-कर न + क : इस में य-र-म । और इस में जो अ=-क मानो तो य-र= == » इस प्रकार से य और र ये दोनो अनन्त होंगे। इसी भांति उत्थापन से य, र के मान अनेक प्रकार के निकलेंगे । अभ्यास के लिये और उदाहरण । य+३ र र १५) (१) २य-र-२ रस में =३ और र-४। For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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