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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (8) (५) (६) (c) (c) (C) (१०) (११) ३ य = ३५ २२=७य - ४५ य + = ३ य उदा० (१) ५ य ४ घर य: २८. ५ ३ य - १ य T -- पर + ४० = + अनेक एकघात समीकरण । } कय घर य+र +२= १३ य - ३ = G १७- २८. ५र ३ र · ३ 2 + =3 य र =8 अथ + कर कय + अर गर www.kobatirth.org य र+8 गय-कर = . = २, और ये + -- 06 = (य + २) (र + ३) | (य +३) (र- २) इस में =4 २ प्रक और इस में १ + कर ३६+४₹ = • ३२) ५६ - ६र= ३८ ) इस में १२य - १ १३ य २=२ र १ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - इस में र =२ | य = ८ इस में =५ । ( र=५ G= =8 य == इस में १२ 1 र = ४ इस में य = ३ और र = ६ | [ य = अ क ग. क‍ (अ +कर + गरे) (गर - करे ) कग For Private and Personal Use Only य ३ ई, इसमें यू = 58 1 । य = २१९ - इस में य और र क्या हैं = ८८ | दूसरी रीति । निर्दिष्ट समीकरणों में जिस व्यक्त की उन्मिति थोड़े आवास में मिल सके उस की निकाल के उस का उस के दूसरे समीकरण में उत्थापन करो इस से ऐसा एक समीकरण उत्पन होगा कि जिस में एक हि अव्यक्त हो तब पूर्व समक्रिया से दोनों अव्यक्तों के मान शीघ्र जात होंगे । अ + ग‍ अ + ग
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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