SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०१ एकवर्ण एकघातममीकरण । २० य +६८ - ९य + ३९ = ३य + ११ य - १४ पक्षान्तरनयन से, १२१ = ३२ 25 छेदगम से, १२१ य – २६६२ = ३२ य +६ पक्षान्तरनयन से, १२१ य - ३२ य = २६६२ + ८ वा, ८९ य = २६७० ; और य = २ =३० । इस जाति के समीकरण में अर्थात् जिस में कोइ एक छेद संयुक्त पद हो उस में पहिले और छेत्रों को उड़ा देओ फिर पतान्तरनयन से सब अभिन्न पदों को एक पक्ष में करके छेदगम करो। उदा० (१०) ३(३+२य), २4य ... , -४य +१+३य ५+ य, इस में य का मान क्या है? तब छेदगम से, ३ (३+२ य) (१+ ३ य) + (२+ य) (३ - ४ य) = (-४ य) (१+३ य) (५+ य)। वा, +३३ य । १८ य+६-५३-४ य = १५+२०य -५५ यर - १२ १३ . पक्षान्तरनयन से, १२ य = -६९ यर .:. ४ य = -२३; और य =-२३ =-१३, अथवा इस प्रकार के समीकरण में अर्थात् जिस में अनेक छेद ऐसे होवें कि जिन में कोई दो छेद परस्पर अदृढ न हों उस में छेदगम के लिये अभिव पदों को एक पत में कर के एक एक छेद से दोनो पक्षों को गुणते जाओ। जैसा - इस समीकरण में पहिले ३-४ य से गुण देने से, ६-५ य -४ य = १५-१७य-४यर +३य पतान्तरनयन सं, पमा ६-५य-४ यर 1 =६-२३ य-४यर + E For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy