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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra freeम्बन्धि प्रकीर्याक । यहां प, फ, ब और भ दून की संख्या अभिन्न हैं । इस की युक्ति यह है । प व फ भ माना कि अ और अ तो इस प्रक्रम के (५) वे प्रकार से प (5) फ फ = य, और :: पभ .. x ब भ और (अ)भ वा अ=१* । पभ अ प्रकार से इसी भांति = = घ, फभ =य, पक्ष फभ प वा चय पभ - फब पभ www.kobatirth.org फब फभ फभ = य × र ; वा ― R = फ और अ प ब फ • इस प्रक्रम के (६) वे प्रकार से, यर वा *x = (९) यह सिद्ध करो कि प फ मानो कि अ = फब 一天 = य फभ फभ फब க प फ थ, ता. च = य, फब फभ = र = 1, भ =य = प ख भ .. इस प्रक्रम के (६) वे प्रकार से युवा च = = फभ फभ प ब पब फ भ फभ =त्र फ 1 पभ + फब Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir और अ वा पब फख = य (यर) ÷र अथवा इस प्रक्रम के (३) For Private and Personal Use Only 1 फर्म पत्र फभ 1 1 १७ पभ + फब फभ प्रभ- फब फभ
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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