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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १७२ न (३) जब कि ओ = और न तो, अ = at, - (*) म = प्र = जब न और म ये दोनों धन और अभिन्न संख्या हैं, अ = न-म. म अ म च न म 老 freerafia watर्णक । अ x x x इत्या० न गुण्यगुणकरूप पद www.kobatirth.org -म x x x इत्या० म गुण्यगुणकरूष पद अXX इत्या० (मन) गुण्यगुया करूप पद यदि म से न छोटा हो अ × × × इत्या न गुण्यगुणकरूप पद अ × × अ ' x इत्या० म गुण्यगुणकरूप पद = अ X अ x इत्या० (न - म) गुण्यगुणकरूप पद यदि न से म छोटा होवे, न न-म (१) x =अ t Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस से स्पष्ट है कि यदि भाज्य और भानक क्रम से किसी एक हि पद के घात हों तो भजनफल भी उसी पद का घात होता है जिस का घातमापक भाजक के घातमापक को भाज्य के घातमापक में घटा देने से जो शेष बचे उस के समान होता है । (४) यदि किसी एक पद के दो घातों के घातमापकों में एक वा -दोनों हों तो भी उन का गुणन में और भागहार में सवर्णन क्रम से इस प्रक्रम के (२) हे और (३) रे प्रकार से बनता I जैसा X ऋ = त्र न-म = नः -म - (न+म) For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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