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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२० freaों का रूपभेद | यहां अंश और छेद का महत्तमापवर्तन ०८ - २१ है, १४८२ - ११ यर +२₹२ ०१ + १८यर - ६१२ २५- र य+३र उदा० (३) (१) (२) अ + २ क + कर २-अक-२ कर -३ कग (३) (8) अ अक खे यह लघुतमरूप क्या है ? यहां अंश और छेद का महत्तमापवर्तन + क + ग है, ३६ अभ्य ४५ २३ ह१ ( ७७ (अ (श्र अ + क 1= ++ क-ग २कर - ३ कग - अरे - प्रय (घ) २ ४ अ क) २ ३ - यह स्मरण रक्खा कि इस के अनन्तर जहां भित्र पद से गणित करना होगा वहां उस के स्थान में उस का लघुतमरूप लेओ और गणित में जो अन्त में फल उत्पन्न होगा उस को लघुतमरूप देओ । क्यों कि लाघव सर्वत्र अपेक्षित है । अभ्यास के लिये और उदाहरण | ५ य 'य' - ४ य + ४ a2-8 www.kobatirth.org (१४८२ - ११ घर + २₹) : (य--२१) ( ० + १८यर - ६१ ) ÷ (७८- २र) है 1 ग WH 1 - ग च १३ ११ (क) प्र + २ क + क क + कर (+य) य - अ + क-ग २क - ग - थ -२ य + ग‍ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 I इस का लघुतमरूप For Private and Personal Use Only यह लघुतम रूप है 1
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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