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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीवा० व्याख्या निर्वाणस्वरूप ॥४८॥ CAMERCEDESCREENERGRAM नी नक्षत्र था इस वक्तमें भस्म ग्रह आपकी जन्म राशिःपर आया है इस कारणसे हे स्वामिन् हे करुणानिधान एक क्षण मात्र आयु बढ़ावो कारण आपकी जन्म राशिःपर भस्म ग्रह आया है वह दो हजार (२०००) वर्ष रहेगा इससे जिनशासनकी पूजा प्रभावना कम होजायगी इस लिये दोघड़ी आयुष बढाओ॥ आपका दृष्टिपात होनेसे भस्म ग्रहका तेज निष्फल होजायगा तब भगवान् बोले हे इन्द्रः यह कभी भया नही होवे नहीं होगा| नहीं ॥ आयुःकी वृद्धिः कोईकरसके नहीं ॥ भावि पदार्थका नाश नहीं है भस्म ग्रहके उतरनेसे देवता भी दर्शन देवगा ॥ विद्यावन्त भी आपसे प्रभाव दिखायेगा जातिः स्मरणादिक भी होगा बाद उन्नीस हजार ( १९०००) वर्ष धर्मप्रवर्तेगा ॥ दुःखमाकालपर्यंत ऐसा कहके भगवान् अपना निर्वाणसमीप जानके पचपन (५५) पुण्यफल विपाक अध्ययन पचपन (५५) पाप फल विपाक अध्ययनकहके छत्तीस (३६) प्रश्न विना उत्तर कहके (उत्तराध्ययन) प्रधान नामका अध्ययन मरुदेवाखामिनीका अध्ययन कहताहुआ भगवान् शैलेशी करण किया ॥ उस वक्तमें स्वामीका निर्वाण समीप जानके सब सुरेन्द्र असुरेन्द्र परिवारसहित आये ॥ प्रभु पांचलघुअक्षर उच्चारण प्रमितकाल अयोगी चौदहवां गुणठाना स्पर्शके शुक्लध्यान ध्याते भये एरण्डफलवत् ऊर्ध्वगतिः करके मोक्षगये ॥ उस समयमें अनुद्धरि, कुन्थुवा जीवोंकी राशि उत्पन्न भई तब साधुओंने विचार किया कि आजसे संयमपालना मुश्किल होगा ऐसा जानके अनशन किया ॥ उसदिन नवमलकी नवलेच्छकी जातिवाले काशी कोशल देशके SACCIENCE ॥४८॥ SHARE For Private and Personal Use Only
SR No.020325
Book TitleDwadash Parv Vyakhtyana Bhashantaram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1926
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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