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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिखते हैं श्रेणिकरार कौणिक राजाका कार्तिकका जीवजीव NAGARI HIRONICATECONORG म्यसे तेईसतीर्थकर तीसरे आरेमें होंगे ॥ और चौवीसमां तीर्थंकर भद्रंकर नामका चौथे आरेमें होगा। अब भावी चोवीस तीर्थंकरों का नाम लिखते हैं श्रेणिकराजाका जीव पद्मनाभखामी पहला तीर्थकर १ श्रीमहावीरस्वामीका काका सुपार्श्वका जीव शूरदेव नामका दूसरा जिनेश्वर२ कौंणिक राजाका पुत्र उदाईका जीव सुपार्थ ३ पोट्टिलअणगारका जीव चौथा खयंप्रभ ४ दृढ़ायु श्रावकःका जीव पांचवां सर्वानुभूतिः ५ कार्तिकका जीव छट्टा देवश्रुत ६शंख श्रावकका जीव उदय नामका सातवां तीर्थकर ७ आनन्दका जीव आठवा पेढाल ८ सुनन्दका जीव नवमापोट्टिल ९ शतककाजीव शतकीर्तिनामका दशवांतीर्थकर १० देवकी रानीका जीव ग्यारहवां सुव्रतनामका तीर्थकर ॥ कृष्णवासुदेवका जीव अमम नामका बारहवां तीर्थकर १२ सत्यकीविद्याधरका जीव निष्कपायनामका तेरहवां तीर्थकर १३ बलभद्रःका ६ जीवनिष्पुलाकचौदहवां तीर्थकर १४ रोहिणीका जीवनिर्मम पन्द्रहवां तीर्थकर १५ सुलसाका जीव चित्रगुप्तनामका है सोलहवां जिनेश्वर१६रेवतीश्राविकाका जीवसमाधि नामका सतरहवां तीर्थकर॥१७॥ सद्दालकाजीव अठारहवां सम्वर ल तीर्थकर ॥ १८ द्विपायनका जीव उन्नीसवां यशोधरतीर्थकर ॥ १९ कषायका जीव (कृष्णनामका कोई ) वीसवां 8 विजयतीर्थकर ॥२० नारदका जीव मल्लीनामकाइक्कीसवां तीर्थंकर२१अंबडका जीव वाईसवां देवतीर्थकर२२अम्बड , श्रावकःका जीव अनंतवीर्यनामका तेईसवां तीर्थकर २३ खातिःका जीव चौवीसवां भद्रंकर नामका तीर्थकर होगा। २४यह आगामिकालमें चौवीस तीर्थंकरोंका आयुः, कल्याणक, अंतर, लाञ्छन, वर्ण वगैरहः पश्चानुपूर्वीसे होगा। AAAAAOSATORISCOS For Private and Personal Use Only
SR No.020325
Book TitleDwadash Parv Vyakhtyana Bhashantaram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1926
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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