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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीवा० %95 व्याख्या ॥ ३७॥ 4 उपद्रव करनेवाले होवेंगे॥थोड़े साधु होयेंगे बहुतसे वेषधारी होवेंगे॥१४ पन्द्रहवें खप्नमें राजकुमारः वृषभःपर बैठा- पंचम ४ हुआ देखा उससे क्षत्रिय मिथ्यात्ववासित होवेंगे खधर्मका त्यागकरेंगे ॥ १५ सोलवें खप्नमें हाथीके बच्चे युद्ध करते | आरेका दाहुए देखे उससे साधु अल्पस्नेहवाले कितनेक परस्परईर्षा करनेवाले, कलहकरनेवाले होवेंगे गुरूकी सेवाकरनेवाले स्वरूप थोडे होवेंगे॥ १६ इसप्रकारसे खप्नोंकाअर्थसुनके चन्द्रगुप्तराजा धर्मध्यानकरताहुआ अंतमें अनशनकरके वर्गगया ॥ इतने कहनेकर सोलहखप्नोंका विचारकहा ऐसाप्रभुःका वचनसुनके गौतमस्वामी आश्चर्य युक्तहुए ऐसे प्रभुको वन्दनाकरके भाविखरूपपूछा ।। अहो खामिन् हे लोकालोकप्रकाशक पांचवें छटे आरेकाखरूप कृपाकरके कहो । प्रभुकहतेभये हे गौतम सावधानहोके सुनो मेरे निर्वाणसे तीन (३) वर्ष साढेआठमहीना जानेसे चौथा आरा उतरेगा और पांचवां आरा लगेगा बाद मेरे निर्वाणसे बारह (१२) वर्ष जानेसे ते मोक्षजावेगा। बाद मेरे निर्वाणसे (२०) वीसवर्ष जानेसे सुधर्माकानिर्वाणहोगा ॥ और मेरे निर्वाणसे चौंसट (६४) वर्ष जानेसे है जम्बुःखामी मोक्षजावेगा॥ तब (१०) दस वस्तुका विच्छेदहोगा आहारकशरीर १ मनपर्यवज्ञान २ पुलाकलब्धि ३ परमावधिज्ञान ४ क्षपक श्रेणी ५ उपशमश्रेणी ६ केवलज्ञान ७ परिहारविशुद्धिःसूक्ष्मसंपराय यथाख्यातचारित्र ६८ सिद्धिगतिः ९ जिनकल्पीपना १० ये दशवस्तु जम्बुखामीके निर्वाणसे विच्छेदहोगा।बाद दुःपम कालके प्रभा-13 ६ वसे चौदह (१४) पूर्वधारी जम्बूस्खामीका प्रतिबोधाहुआ श्रीप्रभवखामी पट्टधरहोगा ॥ उन्होंके पट्टमें चौदह जम्बुःखामी मानक्षपकश्रेणी ५० ये दशवस्तु जम्बुला श्रीप्रभवसामी For Private and Personal Use Only
SR No.020325
Book TitleDwadash Parv Vyakhtyana Bhashantaram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1926
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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