SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धातुसंग्रह. 39 कुह, आ. 10. विस्मापने. विस्मय पो. कुहयते कुहको मायया विश्वम् अपी पटे। विश्वने विभय CMछ. कुहकः (विस्मय 14 // 2), कुहका कुह डो= 31. कुहकम् (भाग्य),कुहा (मनी ),कुहना (हम), 1 कुहुः, 2 कुहूः (नष्टयंद्र। अमावास्या), निष्कुहः (त२). कू (ङ) आ. 6. शब्द. 2256 ४२यो. कुवते काकः / / 220 ४रेछ. कू, () उ. 9. शब्दे. 2058 ४२वो. कुनाति, कूनीते 220 ४३छे. कूज, (अ) प. 1. अव्यक्ते शब्दे. १२५ष्ट 2 / 06 ४२वो. कूजति 25254 2 / 06 रेछ. कूजितम् (पक्षीमा 206). कूट, (अ) आ. 10. आप्रदाने ऽवसादे प्रसादे च. अवसादोऽ नुत्साही नाशश्च. 1 , 2 सान ५२यो, 3 // 2 // ४२वा, 4 मप्रसन्न थ. कूटयते मा छ इ०. कूटः= ओ. कूट, उ. 10. परितापे परिदाहे आमंत्रणे च. आमंत्रणं गूढोक्तिः. 1 परिता५ 4231, दु:५४२, 2 पाण. 3 छ।मुंहे, छाला पियार ४२वो. कूटयति ते खलः 58 परिताप 42. कूटम् = मोटुं. (मसत्य). कूड्, (अ) प. 6. दायें घनसे च. 148 ४२पुं. 2 म. कूडति 18 42. कूडात घासं वृषः यस घास पायथे. कूण, (अ) आ. 10 संकोचने. संय'. कूणयते मुखम् भु५ संशयेछ. कूणिः कूण, उ. 10. संकोचने. संयपुं. कूणयति-ते नेत्र रोगी जी ने संजोये थे. कल, (अ) प. 1. आवरणे. मोऽj, aisj. कूलति छ. अनुकूलति. कूलम् (ता२), अनुकूलम्, प्रतिकूलम्. कृ () उ. 5. हिंसायाम्. 65, कृणोति, कृणुते. कृतं (5). कृ, (डु, 3) उ. 8. करणे. 42. करोति, कुरुते करति वा कटं कारुः शिल्पा 4o 422. करति= 424= 43, कर्ता,की, कारक, कारिका, प्रकारः, अनुकारः, निकारः (मेन), विकारः, आकारः, निराकारः, अधिकार, उपकारः, अपकारः, संस्कारः,प्रकारः, परिष्कारः, अलंकारः, कृतः, प्रकृतः, अनुकृतः, विकृतः, अधिकृतः, उपकृतः, संस्कृतः, परिष्कृतः, अलंकृतः, करणम्, प्रकरणम्, अनुकरणम्,निराकरणम्, अधिकरणम्, उपकरणम्,व्याकरणम्, कृत्यम्, कार्यम्, कृत्रिमम, करः, प्रकरः, सुकरः, For Private And Personal Use Only
SR No.020313
Book TitleDhatu Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages210
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy