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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 24 धातुसंग्रह. ईश, (अ) आ. 2 ऐश्वर्य. 35 42, साभीj 42, ४श्व२५ 42. इष्टे राजा राम Mrj 422. ईशः, ईश्वरः, ईश्वरा, ईश्वरी, ईशिता (ऋ+ स्वामी), ईशानः (सामी), ईशा = सि (पासानी स, हनी छ5). ईष्, (अ) प. 1. उछ. उंछः उच्चयनम्. पी. ईषति बदराणि बालः पायो मोर पीछे. ईषा = स (भंय६िनो म१५५), ईषत् (थोडे), ईषिका (राणी). ईष्, (अ) आ. 1. गतिहिंसादर्शनेषु. 14, 295, 3. ईषते पाथः viय जयछे, मनीषा (भुक्षि), मनीषितम् (युधिमा पेठगुं), ईषा = सि. ईषीका (से, मेजतिनुं धास). ईह, (अ) आ. 1. चेष्टायाम्. 1 योग ४२वो, 2427. ईहते यो रेछ. 1 ईहा, 2 समीहा (4-7I). उ, (ङ) आ. 1. शब्द. 2056 ४२पो. अवते. अवः, अविः (मोओ). उक्ष, (अ) प. 1. सेचने. सिंय'. उक्षति सिंथेछ. उक्षितम् (सिंj), उक्षा (अन् + पण). [इंग्रे. न्या४५]. प्रोक्षणम् (सिंथन).. उख. (अ) प. 1. शोषणालमर्थयोः. 1 सोस. 2 पूर्ण 42. ओखति हिमेन वृक्षः जाहिमे सोसाय छे. उख, (अ) प. 1. गत्यर्थः. 4. ओखति लयछे. उखा (531). उख, (इ) प. 1. गत्यर्थः. 4. उंखति जय. उच्, (अ) प. 4. समवाये. समवायः ऐक्यम्. मेता ४२वी, भण. उच्य ति मेहता 422, ओकः (52), उचितम्, अनुचितम्. उछ्, (ई) प. 1. विवासे. विवासोऽतिक्रमः समाप्तिश्च. 1 ५तिभy, मासंग. 2 सभाम४२, पा२पाउj. उच्छति, व्युच्छति मति छ, इ०. उछ, (इ) प. 1. उंछे. उंछः उच्चयः कणशआदानमिति यावत्. पी. उंछति धान्यं तापसः तापस आ पाये छ. उंछः (491 वीपा).. उछ, (ई) प. 6. विवासे.१ मतिम, मोसंग, 2 सभा 2j, पा२४२j. उच्छति, व्युच्छति मतिमै छ इ०. व्युष्टः, व्युष्टा (1131), व्युष्टम् (प्रात:). उछ, (इ) प. 6. उंछे. पी. उंछति कणान् तापसः तापस 495 पाये छे. उंछः (४५वीए). For Private And Personal Use Only
SR No.020313
Book TitleDhatu Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages210
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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