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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 192 धातुसंग्रह. समान, उ. 10. प्रीतिदर्शनयोः सेवने च. 1 प्रीति ४२वी, 2 रीन 42, सेव. सभाजयति - ते प्रीति ४२छे इ०. सभाजनम् (मासिंगन री साह 37). संभूयस्, प. 11. प्रभूतभावे. पडु य, वाय. संभूयस्यति पहुयायछे. सम्, (ई) प. 4. परिणामे. परिणामो विकारः 1 142, वि४।२ पाम. सम्यति व४२७. सर्ज, (अ) प. 1. अर्जने. मेणqj, मा. सर्जति भणपेछे. सर्जिकः. सल, (अ) प. 1. गतो. rj. सलति // 5. सालः (वृक्ष). सस्त, (इ) प. 2. ('वै०) स्वप्ने. इंधयु, अ. संति, संस्ति धेछे. सांत्व, (अ) उ. 10. सामप्रयोगे. 142, समन. सांखयति--ते समन्वछे. सांत्वनम्. सात, (अ) प. 10. (सो०) सुखे. सुपथ. सातयति सुपथाय. सातयः. साध्, (अ) प. 5. संसिद्धौ. संसिद्धिः फलसंपत्तिः. ३५संपन्न 42. साध्नोति परकार्य साधः साधु५२४४ने साथैछे. साध्नोति = साधइ = साधे. साध्यः, साधनम्, साधकः. साधितः = साधिओ = साध्यो / साम्ब, (अ) उ. 10. संबंधने. संमंध ४२वो. साम्बयति. संबंध रेछ साम्बः (संमंध). साम, उ, 10. सांवप्रयोगे. सांत्वप्रयोगः प्रीणनम्. सावन 42, तृH 42. सामयात-ते सांत्वन 422. साम. सार, उ. 10. दौर्बल्ये. दुर्गम थयु, 9 42. सारयति-ते हुय थायछे. सारः. सिक, (अ) प. 1. (सौ०) सेचने. सिंन्य. सेकति सिंथे. सेकः (सिंयन), सिकता (रेती). सीक, (3) आ. 1. सेचने. सिंय'. सीकते सिये. सीकरः (छांटो). सुख, उ. 10. तक्रियायाम्. सुखनं सुखक्रिया. सुपीय, सुखयति-ते सुभी थायछे. सुखम्. सुख (अ) प. 11. तक्रियायाम्. सुपीथपुं. सुख्यति, सुखमनुभवतीत्यर्थः सुनी याय सुखम्. मुद्, (इ) प. 1. (सो०) शोभायाम्. शोमपु. सुंदति शोनेछ. सुंदरः, सुंदरी. For Private And Personal Use Only
SR No.020313
Book TitleDhatu Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages210
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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