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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 124 धातुसंग्रह. (क्षत्रिय विशेष), भार्या = 20 // (59), विश्वभरः (वियु), 1 भृतिः, 2 भृत्या (मूल्य), प्रभृति (माहि), भर्ता (a + पति), प्राभृतम् (माय), जारभरा (M२ने पोजना खी), भरणी (नक्षत्र), भृगः (लभरो), भरणम्, आभरणम् (सं.२). भृज, (ई) आ. 1. भर्जने. भर्जनं जलं विना तंडुलादेः संतापविशेषः. / , मुंr. भर्जते तंडुलान् भोपाने रोहेछ. भर्जनम् (4), भर्जकः (सेना२), भृक्तः (सेस), भर्गः (1 22, 2 मेरू), भृज्यम् (सेवा योग्य). भृड्, (अ) प. 6. निमन्जने. हा, 74ii ना२वी. भृडति नद्यां विप्रः विप्र नही मान्य . भृडति = भडइ = मो. भृश, (उ) प 4. अधःपतने. नाये 57, 62 57. भृश्यति पापी धर्मात् पा धर्मया हे? 5. भृष्टः, धर्मभृष्टः. भृश, (इ) उ. 10. भाषा) भासाथै च. 1. सोनपुं, 2 प. मुंशयति-ते मोलछे इ०. भ, प. 9. भर्सने भरणे भर्जने च. भर्जनं पाकः. 1 ति२२७।२ ४२यो, म५४६२ १२यो, 2 घा२९५ 42j, 3 पोप, 4 रोj. . भृणाति कुपुत्रं पिता पिता पुतने ति२२७१२ २छे इ०. भर्भरः (5421), भर्भरी (सक्ष्मी), भभुरः (संयय), भार्या = भारजा (). भेष, (*) उ. 1. भये गती च. 1 मा, 2 . भेषति-ते "छ. भेषः= 5. . भ्यस्, (अ) आ. 1. भये. पी. व्यसते ". भ्रक्ष, (अ) उ. 1. अदने. पा. भ्रक्षति-ते पायछे. भ्रण, (अ) प. 1. शब्दार्थ.. 256 ४२यो. भ्रणति 206 427. भ्रणः (2154). भ्रम, (उ) प. 1. चलने. मंडलाकारेण भ्रमणमेव धात्वों नतु चलनमात्रम् मम, भ्रमति -- भ्रम्यति तीर्थ साधुः साधु तीर्थ मछ. भ्रमति = भमइ = नभ. 1 भ्रमः, 2 भ्राति:, 3 भ्रमणम् (1 भिल्यासान, 2 2521), विभ्रमः (1 वति, 2 खियोनो टो), संभ्रमः (गन।८), भ्रमणम् (मन), श्रांत: (मेल), भ्रमर:= मभरो. भृमिः (पायु), भ्रमिः (iति), भ्रूः (ry), सुभूः (सारा मवावाणी खी). For Private And Personal Use Only
SR No.020313
Book TitleDhatu Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages210
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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