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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १५५ ) “ॐ ह्रीं श्री भगवत्यै केवलज्ञानस्वरूपायै लोकालाकप्रकाशिकायै श्रीसरस्वत्यै चन्दनं समर्पयामि स्वाहा।" इस मंत्र को बोल कर चौपडा के ऊपर चन्दन-केसर से पूजा करना । फिर हाथ में सुगन्धी पुष्प लेकर-- “ॐ ह्रीँ श्री भगवत्यै केवलज्ञानस्वरूपायै लोकोलोकप्रकाशिकायै श्रीसरस्वत्यै पुष्पं समर्पयामि स्वाहा।" इस मंत्र को बोल कर चोपडा के ऊपर फूल चढाना। फिर हाथ में अगरबत्तीधूप लेकर--- "ॐ ह्रीँ श्री भगवत्यै केवलज्ञानस्वरूपायै लोकालोकप्रकाशिकायै श्रीसरस्वत्यै धूपं समर्पयामि स्वाहा ॥" इस मंत्र को बोल कर चोपडा के ऊपर धूप उखेवना। फिर हाथ में दीपक लेकर-- “ॐ ह्रीं श्री भगवत्यै केवलज्ञानस्वरूपायै लोकालोकमकाशिकायै श्रीसरस्वत्यै दीपं समर्पयामि स्वाहा ।" इस मंत्र को बोल कर चोपडा के ऊपर दीपक फिरा कर उसके सामने रखना । फिर हाथ में अखंड चावल लेकर--- “ॐ ह्रीं श्री भगवत्यै केवल ज्ञानस्वरूपायै लोकालोकमकाशिकायै श्रीसरस्वत्यै अखण्डाक्षतं समर्पयामि स्वाहा ।" इस मंत्र को बोल कर चोपडा के ऊपर चावल चढाना । फिर हाथ में नैवेद्य लेकर-- ॐ ह्रीँ श्री भगवत्यै केवलज्ञानस्वरूपायै लोकालोकप्रकाशिकायै श्रीसरस्वत्यै नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only
SR No.020303
Book TitleDevasia Raia Padikkamana Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherAkhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad
Publication Year1964
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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