SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ११५ ) पेख्या पंच प्रकार । मनुहार । नन्दीसूत्र में ज्ञानना, मति श्रुत अवधि मन सही, केवल एक आकार पंच ज्ञान में प्रथम छे, मतिज्ञान प्रणमुं सोहगपंचमी, दिन छे ज्ञान दातार पाटले पुस्तक थापीने, वंदो धरिय विवेक । सूरिराजेन्द्रे भाखिया, सूत्र अछे इह केक पंचमीतिथि स्तुति । पंचमी दिन प्रणमो अरिहा नेमि दयाल | राजुलपति सेवो, टालो कर्म कुचाल ॥ भवि पौषध पूजा, अतिही कीजे रसाल | पंचमी तप करीने, वरिये शिववधू माल ॥ १ ॥ पंचमी गतिगामी, पंच नाण धरनार । अरिहंत अनोपम, जेह थया सुखकार || आगामी थाशे, वली वरतित जयकार | सहु जिनवर दरशित, ए तप पंचमी सार ॥ २ ॥ सूरिराजेन्द्र राजा, शोभित त्रिभुवन भाणं । उपदेशे बूझे, रायचन्द्र गुणखाण || आगम में भाखी, अईन्मुख इम वाण । जिनसम जिनप्रतिमा, जाणो चतुर सुजाण ॥ मूरख नवि माने, ताने निज गुरु आण । ते कुगुरु चेला, पत्थर नाव प्रमाण ॥ ३ ॥ पंचमीतप स्तवन । ( नेम की जावन बनी भारी - ए राह ) For Private And Personal Use Only ॥ ३ ॥ 11 8 11 ॥५॥ सुनो श्रीसुमतिनाथ भगवान, दिला दो मुझको केवलज्ञान || टेर || सुमतिमभु सुमति के दाता, पूजतां जीव लहे
SR No.020303
Book TitleDevasia Raia Padikkamana Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherAkhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad
Publication Year1964
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy