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पुन्य थकी महराज सुनो पुनि घर घर ताको अादर जानो। पुन्य थकी महराज सुनो अब दुर्जनः बह सज्जन जानो। तातें सुनो महराज अवै सो पुन्य बड़ो जगमैं सुबखानो॥३६॥
चौपाई। BI पूरब पुन्य करो सु कुमार ।जरोनहीं सो अगिन मझार॥
सो तौ द्रोन नगरके माहिं । मंत्रीपद राजाको जाहि ॥३७॥ | तवहीं भूपति कैसे कही । तुमने कैसें जानी सही ॥ | तबै बिरध बोलो करजोरि । हो महराज सुनो सुबहोरि ॥३८॥
त्रिय तौ एक पुरुष दो जानि । ताको न्याव पड़ो सो आनि॥ P काहूँ निमटायो नहिं जाय । ताने मझाए बावन राय ॥३६॥
| तुमहूंपै बह आई सही । तुम परन्याव जुनिमटो नहीं॥ ३पहुंची दोन नगरके माहिं । वज्रसेनि दीनो निमटाय ॥४०॥
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