________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir . 1 डाग. लागी, केवी रीते क्रोधी बोलती हवी के, हे जन्मेजय एहुंतने संभळावू . 15 ॥श्लोक। इंद्रियाणिवयंविप्रतवापिशरिरान्मुने गमिष्यामोयथातथ्यामनादिहि || सत्वरं // 16 // टीका--हे मुने हे विप्र तमारा शरीरनी अमे ईद्रिो छीए, माटे तमे अमने अाझा पापो के अमारे गमे त्यां जइए. 16 लोक॥ ॥दुर्वासाउवाच॥ कस्माद्छस्वभोबालाःशरिरान्मप्रियंकरा : मुनेर्वचन | माकर्ण्यताऊचुःस्वंप्रथग्मतं // 17 // टीका-दुर्वासा बोलता हवा ; हे बाळाओ, तमे मारा शरीरने प्रियंकरछो अने शामाटे जवू इच्छोछो ते मने संनळावो, एवां मुनीना वचन सनिलिने ईद्रिो प्रथक् प्रथक् बोलती हवी. 17 ॥श्लोक॥ जीहवेंद्रिवचनंप्राहरुषादुर्वाससंमुनि तवसंगान्मयास्वादुन्नूक्तःशोभनोरसः॥१८॥ टीका-दुवार्सा मुनीना प्रत्ये रोषवडे करीने जिव्हा ईंद्रि बोले छे, के तमारो संग थया पछी कोइ समय शोभन रस चाख्या नहीं. 18 ॥श्लोक॥ घ्राणेंद्रीप्राहरोषेणवाक्यदुर्वाससंमुनि।सुगंध कुसुमस्यापिनलब्धोमे कदाचन // 19 // टीका-हवे नासिका ईद्रि कहे छे के, हे दुर्वासा मुनि तमारो संग पामीने सुगंध कुशुमनो प्रेमळ गंध कोइ काले मळतो नथी. 19 ॥श्लोक। नेत्रेद्रीक्रोधसंयुक्ताचोवाचेदंमुनिवच भूमौमयाकदाकिंचिन्नदष्टंमिलिते For Private and Personal Use Only