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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 7 . डांग श्लोक // शोणितस्यसरिज्जाताशेवालाशिरजाःस्मृताःएवंविधंतदाजातंद्रुतोरा | मश्चवायुजं 28 // टिका. अरे ए युध्धने विशे तो, शोणीतनी नदी वहेवा लागी, आंतरडांना शेवाळ चालवा लाग्या, ए रीते निमशेननुं बलराम प्रति युध्ध होवा लाग्युंछे. 28 ॥श्लोक // पुनर्मुक्तागदातेनजीमेनजनमेजय॥ लग्नाचहदयेतस्यपपातगत्तचेत नः॥२९॥ टीका.॥हे जन्मेजय राजा एटलामां तो फरीने बलरामने निमसेने ग दा मारी, अने ते गदा हृदयने वच्ये वागवाथी गतचेतन गयुंडे चैतन्य ते जेनुं श्रेरिते बळनद्रजी मूगंगत होता हवा,२९ ___ श्लोक // तदाध्धश्चक्रनश्चमुक्ताकौमोदकीगदा // पपातपन्नांकुंतीजोमुखाद्रू धिरमुहमन् 30 // टिका. ते समयतो बळन जेन मृत्यु पान्या न होय ए रितनुं पुद्गुळ जोइने क्रश्नपर्मात्मा महा क्रोधायमान थया थका कुँतिना पुत्र जे भिम तेना नप र कौमोदिक नामनी जे गदा तेसो प्रहार करता इवा, ते जे कोइ प्रहार तेणे क रीने भिमसेनना मुखमाधी रुधिर वहन होतुं हवं. 30 ॥श्लोक ॥तदाचशक्रपुत्रश्चअपश्यद्रथमास्थित : // भ्रातृदुःखेनसंतप्तोगांजीवंध नुराददे // 31 // टिका. अने ज्यां कृष्णनी गदानो प्रहार शक पुत्र जे अजून ते रथ 50 For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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