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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह (तर्ज-जावो जावो हे मेरे साधु रहो गुरु के संग ) पूजो पूजो हे भविजन सद्गुरु अक्षत भाव अभंग पूजो पूजोजिनचंदसूरीश्वर दादा प्रेम अभंग ॥ टेर ॥ कर्मचंद्र मंत्री अगिवानी, मिलकर श्रावक संघ । श्री लाहोर नगर पधरावे, महा महोत्सव रंग पूजो ॥१॥ वर वाजिंत्र विजयध्वज आगे हाथी मत्त तुरंग। राज पुरुष सद्गुरु स्वागत में आये महा उमंग पूजो० ॥२॥ सोलह सो अडतालीस फागुन सुद बारस दिन चंग। अकबर परिजन सह गुरु दर्शन करता भाव सुरंग पूजो० ॥३॥ थे इकतीस यशस्वी पण्डित साध सद्गुरु संग । महती महिमा लख गुरुवर को दुनिया रह गई दंग पूजो०॥४।। दिव्य धरम-प्रवचन जगहितकर पावन गंग तरंग । सुन अकबर तन मन से बोला धन सदगुरु सतसंग पूजो०॥॥ शाल दुशाले सोना मुहरें मणि-रत्नों के नंग। अकबर भेट धरे गुरु त्यागें, धन निस्पृह निस्संग पूजो०॥६॥ त्यागी जीवन सब से ऊचा, हैं गुरु आप उत्तंग। दर्शन पा हर्षित मन मेरो, धन दिन आज प्रसंग पूजो०॥७॥ करुं प्रार्थना सद्गुरु देना, दर्शन दान अभंग। नित प्रतिबोध सुनाना प्रगटे, दया धरम दृढ रंग पूजो०॥८॥ अकबर को दें धर्मलाभ गुरु, मंत्री मन उच्छरंग। परवत शाह सुगुरु पधरावें, उत्सव अद्भुत ढंग पूजो०॥६॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020167
Book TitleDada Gurudevo ki Char Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisagarsuri
PublisherJain Shwetambar Upashray Committee
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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