SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय | पिप्पली मधुक क्षौद्रशर्करेचुरसांबुभिः । छयेद्गुप्तहृदयो भक्षितं यदिवा विषम् ॥ A अगर किसीने छिपाकर स्वयं ज़हर खाया हो, तो वह पीपल, मुलेठी, शहद, चीनी और ईखका रस - इनको पीकर वमन कर दे । अथवा वैद्य उपरोक्त चीजें पिलाकर वमन द्वारा विष निकाल दें | आरम्भ में, जहर खाते ही " वमन " से बढ़कर विष नाश करनेकी और दवा नहीं | ( ख ) अगर देर हो गई हो - विष पक्काशय में पहुँच गया हो, तो दस्तावर दवा देकर दस्त करा देने चाहियें । नोट- बहुधा वमन करा देनेसे ही रोगी बच जाता है । वमन कराकर आगे लिखी दवाओं में से कोई एक दवा देनी चाहिये । ( १ ) दो या तीन तोले पपड़िया कत्था पानी में घोलकर पीने से संखियाका जहर उतर जाता है। यह पेटमें पहुँचते ही संखियाकी कारस्तानी बन्द करता और क्रय लाता है । ( २ ) एक माशे कपूर तीन-चार तोले गुलाबजल में हल करके पीनेसे संखियाका विष नष्ट हो जाता है । ( ३ ) कड़वे नीम के पत्तों का रस पिलाने से संखियाका विष और कीड़े नाश हो जाते हैं। परीक्षित है। ( ४ ) संखिया खाये हुए आदमीको अगर तत्काल, बिना देर किये, कच्चे बेलका गूदा पेटभर खिला दिया जाय, तो इलाज में बड़ा सुभीता हो । संखियाका विष बेलके गूदे में मिल जाता है, अतः शरीरके अवयवोंपर उसका जल्दी असर नहीं होता; बेलका गूदा खिलाकर दूसरी उचित चिकित्सा करनी चाहिये । (५) करेले कूटकर उनका रस निकाल लो और संखिया खानेवालेको पिलाओ। इस उपाय से वमन होकर, संखिया निकल जायगा । संखियाका जहर नाश करनेको यह उत्तम उपाय है । नोट - अगर करेले न मिलें, तो सफ़ ेद पपरिया कत्था महीन पीसकर और For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy