SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 703
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कहीं नहीं है। गरीब-अमीर सब पी सकें और अपनी गृह-लक्ष्मियोंको भी पिला सकें, इस कारण हमने इसका दाम घटाकर केवल १) लागतमात्र कर दिया है। तुधासागर चूर्ण । यह चूर्ण इतना तेज़ है, कि पेट में पहुँचते ही अजीर्णकी तो गिन्ती ही नहीं, पत्थरको भी भस्म कर देता है। भूख लगाने, खाना हजम करने और दस्तको कायदेसे लानेमें यह चूर्ण अपना सानी नहीं रखता; औरतें इसे खूब पसन्द करती हैं। इतने गुणकारक स्वादिष्ट चूर्णकी एक शीशीका दाम हमने केवल ) रक्खा है। एक शीशीमें ३० खूराक चूर्ण है । घरमें लेजाकर रखनेसे समयपर यह वैद्यका काम देता है। हिंगाष्टक चूर्ण। इस चूर्णके खानेसे भोजनपर रुचि होती है, भूख बढ़ती है, खाना हजम होता है और पेट हलका रहता है । भूख बढ़ानेमें तो यह चूर्ण रामवाण ही है । सुस्वादु भी खूब है। दाम १ शीशीका ॥) अाना । क्षारादि चूर्ण। इसके सेवनसे अजीर्ण तो तत्काल ही भस्म हो जाता है । अम्लपित्त, खट्टी डकार आना, वमन या क्रय होना, जी मिचलाना, गलेमें कफ सूखकर लिपट जाना, गला और छाती जलना आदि रोग आराम करने में यह अक्सीरका काम करता है । कई प्रकारके स्वदेशी क्षारोंसे यह चूर्ण बनता है। खानेकी तरकीब डिब्बीपर छपी है। दाम १ शीशीका ॥) आना। उदर-शोधन चूर्ण । आजकल कलकत्ता-बम्बई में करीब-करीब १०० मेंसे १० आदमियों For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy