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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (१७) करौंदेके पत्ते पानी में पीसकर पिलानेसे जहर खानेवालेको क़य होती हैं, पर जिसने जहर नहीं खाया होता है, केवल शक होता है, उसे तय नहीं होती। (१८) सत्यानाशीकी जड़की छाल खानेसे साधारण विष उतर जाता है। (१६) नीमकी निबौलियोंको गरम जलके साथ पीसकर पीनेसे संखिया आदि स्थावर विष शान्त हो जाते हैं। . मनुष्यमात्रके देखने-योग्य दो अपूर्वरत्न । नवाब सिराजुद्दौला। यह उपन्यास उपन्यासोंका बादशाह है। सरस्वती-सम्पादक उपन्यासोंको बहुत कम पसन्द करते हैं, पर इसे देखकर तो वे भी मोहित हो गये । इस एक उपन्यासमें इतिहास और उपन्यास दोनोंका आनन्द है । अगर आप नवाब सिराजुद्दौलाके अत्याचारों और नवाबी महलों के परिस्तानोंका चित्र आँखोंके सामने देखना चाहते हैं, तो सचित्र सिराजुद्दौला देखें। दाम ४) डाकखर्च ॥) सम्राट अकबर । यह उपन्यास नहीं जीवनी है, पर आनन्द उपन्यासका-सा आता है । इसमें उस प्रातःस्मरणीय शाहन्शाह अकबरका हाल है, जिसके समान बादशाह भारतमें आजतक और नहीं हुआ। यह ग्रन्थ कोई ५००० रुपयोंके ग्रन्थोंका मक्खन है। ४३ ग्रन्थोंसे लिखा गया है। इसके पढ़नेसे ३०० बरस पहलेका भारत नेत्रोंके सामने आ जाता है । इसको पढ़कर पढ़नेवाला, आजके भारतसे पहलेके भारतका मिलान करके हैरतमें आ जाता और उस ज़मानेको देखनेके लिये लालायित होता है । इसमें प्राचीन भारतकी महिमा प्रमाण दे-देकर गाई गई है। 'जिसने इसे देखा, वही मुग्ध होगया। जिसने "अकबर" न पढ़ा, जिन्दगीमें कुछ न पढ़ा। अगर आप सोलह आने कंजूस हैं, तो भी "अकबर के लिये तो अण्टी ढीली करदें। इसके पढ़नेसे आपको जो लाभ होगा, अकथनीय है । मूल्य ५०० सफोंके सचित्र ग्रन्थका ४॥) नोट-दोनों ग्रन्थ एक साथ मँगानेसे सात रुपयेमें मिलेंगे। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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