SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 621
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६० चिकित्सा-चन्द्रोदय । पानी गिरता है, मल या पाखाना सूखा और रूखा उतरता है तथा शरीर भी सूखा और रूखा हो जाता है। नोट-यह शोष रोग उस बुढ़ापेमें बहुत कम होता है, जो जवानी पार होने या अपने समयपर सबको पाता है, बल्कि असमयके बुढ़ापेमें होता है। कहते हैं, यक्ष्मा रोग बहुधा चालीस सालसे कमकी उम्रमें होता है। अध्व शोषके लक्षण । अध्व शोष अधिक रास्ता चलनेसे होता है । इस शोषमें मनुष्यके अङ्ग शिथिल या ढीले हो जाते हैं । शरीरकी कान्ति आगमें भुनी हुई चीज़के जैसी और खरदरी हो जाती है, शरीरके अवयव छूनेसे स्पर्शज्ञान नहीं होता और प्यास लगनेके स्थान--गला और मुँह सूखने लगते हैं। खुलासा यह है कि, इस शोषवालेका सारा शरीर ढीला और बेकाम हो जाता है, शरीरकी शोभा जाती रहती है, हाथ-पैरोंमें चुटकी काटनेपर कुछ मालूम नहीं होता; यानी वे सूने हो जाते हैं और कंठ तथा मुख सूखते हैं। व्यायाम शोषके लक्षण । इस प्रकारके शोषमें अवशोषके लक्षण मिलते हैं और क्षत या घाव न होनेपर भी, उरःक्षत शोषके चिह्न नज़र आते हैं। ध्यान रखना चाहिये, जो लोग अधिक कसरत-कुश्ती या और मिहनतके काम करते हैं, अपने आधे बलके अनुसार कसरत आदि नहीं करते, उनको निश्चय ही यक्ष्मा रोग हो जाता है । जो मूर्ख केवल कसरतसे बलवृद्धि करनेकी हौंस रखते हैं, उन्हें इस बातपर ध्यान देना चाहिये । कसरतके नियम-कायदे हमने अपनी “स्वास्थ्यरक्षा में विस्तारसे लिखे हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy