SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 601
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir moran चिकित्सा-चन्द्रोदय । (४) भाँगरा, त्रिफला, कमल, सातला, लोहचूर्ण और गोबरइनके साथ तेल पकाकर लगानेसे दारुणक रोग नष्ट होता और गिरे हुए बाल सघन और टिकाऊ होते हैं। (५) महुआकी छाल, कूट, उड़द और सेंधानोन,--इनको बराबरबराबर लेकर महीन पीस लो और शहदमें मिलाकर सिरपर लेप करो । इससे दारुणक रोग नष्ट हो जाता है। (६) पोस्तको दूधमें पीसकर लेप करनेसे दारुणक रोग नाश हो जाता है। नोट-पोस्ताके दाने या खसखासके बीजोंको दूधमें पीसकर लगायो । (७) चिरौंजीके बीज, मुलहटी, कूट, उड़द और सेंधानोन-- इनको एकत्र पीसकर और शहदमें मिलाकर लगानेसे दारुणक रोग जाता रहता है। ___ (८) आमकी गुठली और हरड़---दोनोंको समान-समान लेकर दूधमें पीसकर सिरमें लगानेसे दारुणक रोग चला जाता है । (६) नीबूका रस चीनीमें मिलाकर सिरपर लगाने और १६ घण्टे बाद सिर धोनेसे सिरकी रूसी-भूमी नष्ट हो जाती है। (१०) चनेका बेसन आध घण्टे तक सिरके में भिगो रखो। फिर उसे शहदमें मिलाकर सिरपर मलो । इससे रूसी-भूसी और बफा नाश हो जाती है। ___ (११) साबुनसे सिर धोकर तेल लगानेसे रूसी-भूसी नष्ट हो जाती है। (१२) चुकन्दरकी जड़ और चुकन्दरके पत्तोंका काढ़ा बनाकर, उसमें थोड़ा नमक मिला दो । इस काढ़ेको सिरपर डालनेसे रूसीभूसी और जूं नष्ट हो जाती हैं। नोट-पारेको मूलीके पत्तोंके रसमें या पानोंके रसमें पीसकर, उसमें एक डोरा भिगो लो और उसे सिरमें रख दे।। सारी २।३ दिनमें मर जायँगी। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy