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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पलित रोग-चिकित्सा। ५६१ "कार्मवाद्य” तैल है । इसके लगानेवाला १०० बरस तक जीता है । (१२) मुलेठीकी पिसी हुई लुगदी ४ तोले, गायका दूध १२८ तोले और भाँगरेका रस १२८ तोले तथा तेल १६ तोले-इन सबको कढ़ाहीमें रखकर पका लो । तेल-मात्र रहनेपर उतार लो । इस "मधुक तैल'की नास देनेसे पलित रोग नष्ट हो जाता है। ___ (१३) पुण्डरिया, पीपर, मुलेठी, चन्दन और कमलको सिलपर एकत्र पीसकर लुगदी बना लो । लुगदीसे चौगुना तिलीका तेल और तेलसे चौगुना आमलोंका रस-इन सबको कढ़ाहीमें डाल, तेल पका लो। इस तेलकी नस्य और मालिशसे मस्तकके सारे सफेद बाल काले हो जाते हैं। (१४) नील, केतकीकी जड़, केलेकी जड़, घमिरा, पियाबाँसा, अर्जुनके फूल, कसूमके बीज, काले तिल, तगर, कमलका सर्वाङ्ग, लोहचूर्ण, मालकाँगनी, अनारकी छाल, गिलोय और नीले कमलकी जड़-ये सब दो-दो तोले, त्रिफला २० तोले, भाँगरेका रस अढ़ाई सेर, काली तिलीका तेल आध सेर,--इन सबको एक लोहेके घड़ेमें भरकर, उसका मुंह बन्द करके कपड़-मिट्टी (खाली मुखपर) कर दो और उसे ज़मीनके गड्ढे में रखकर, उसके चारों ओर घोड़ेकी लीद भर दो। पीछे ऊपरसे मिट्टी डालकर गाड़ दो। चालीस रोज़ बाद, उसे निकालकर आगपर पकाओ । जब रस जलकर तेल-मात्र रह जाय, उतारकर छान लो। ___ हर चौथे दिन इसको बालोंपर लगाओ और चार घण्टे रहने दो। इसके बाद हरड़के पानीसे सिर धो डालो। इसके लगानेसे बाल काले रहेंगे । यह योग "सुश्रुत"का है । इसे हमने २।३ बार आजमाया है, इसीसे लिखा है। ___ नोट-छै घण्टे पहले थोड़ी-सी छोटी हरड़ कुचलकर पानीमें भिगो दो । यही हरड़का पानी है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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