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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५६ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (१३) लोध, धनिया और बच, इन तीनोंको पानीमें पीसकर मुहासोंपर लेप करो। परीक्षित है। (१४) गोरोचन और कालीमिर्चोंको पानीके साथ पीसकर मुहासोंपर लेप करो । परीक्षित है। (१५) सरसों, बच, लोध और सेंधानोन--इनका लेप मुहासे नाश करने में अकसीर है। (१६) बच, लोध, सोंठ, पीपर और कालीमिर्च-इनको समानसमान लेकर पानीमें महीन पीसकर लेप करो। इससे मुहासे निश्चय ही नष्ट हो जाते हैं । परीक्षित है। (१७) तिल, बालछड़, सोंठ, पीपर, कालीमिर्च और सफेद जीरा-इनको समान-समान लेकर और महीन पीसकर मुखपर लेप करनेसे मुहासे नाश हो जाते हैं । परीक्षित है। ___ (१८ ) सेमलके काँटोंको गायके दूधमें पीसकर लेप करनेसे मुहासे ३ दिनमें नष्ट हो जाते हैं। नोट-वमन कराने से भी लाभ देखा गया है। (१६) लालचन्दन और केशरको पानीमें पीसकर लेप करनेसे मुहासे नष्ट हो जाते हैं। ___ नोट-पके हुए पिण्डालूका लेप करनेसे वातकी गाँठ नाश हो जाती है। (२०) जायफल, लालचन्दन और कालीमिर्च-समान-समान लेकर, पानीमें पीसकर मुंहपर लेप करनेसे मुहासे नष्ट हो जाते हैं। मस्से और तिलोंकी चिकित्सा । शरीरपर वेदना-रहित, सस्त उर्दके समान, काली और उठी हुई-सी जो फुन्सी होती है, उसे संस्कृतमें "माष" और बोल-चालकी जबानमें "मस्सा" कहते हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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