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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नर-नारीकी जननेन्द्रियोंका वर्णन । ५४३ पाँच मासका गर्भ-सिरसे एड़ी तक दस इंचके करीब लम्बा और बोझमें आध सेर होता है। सारे शरीरपर बारीक बाल होते हैं । यकृत अच्छी तरह बन जाता है । आँतोंमें कुछ मल जमा होने लगता है । गर्भ कुछ हिलता-डोलता है । माताको उसका हरकत करना या हिलना-डोलना मालूम होने लगता है । नाखून साफ दीखते हैं । छै मासका गर्भ-इसकी लम्बाई सिरसे एड़ी तक १२ इंच और भार एक सेरके करीब होता है। सिरके बाल और स्थानोंकी अपेक्षा ज़ियादा लम्बे होते हैं । भौं और बरौनियाँ बनने लगती हैं। सात मासका गर्भ--इसकी लम्बाई १४ इंच और भार डेढ़ सेरके लगभग । सिरपर कोई पाँच इंच लम्बे बाल होते हैं। आँतोंमें मल इकट्ठा हो जाता है। इस मासमें पैदा हुए बालकका अगर यत्नसे पोषण किया जाय, तो बच भी सकता है, पर ऐसे बालक बहुधा मर जाते हैं। ____ आठ मासका गर्भ--इसकी लम्बाई १६।१७ इंच और भार दो सेरके क़रीब होता है । इस मासमें पैदा हुआ बच्चा, अगर सावधानीसे पालन किया जाय, तो जी सकता है। नौ मासका गर्भ-इसकी लम्बाई १८ इंच तक और भार सवा दो सेरसे अढ़ाई सेर तक होता है । इस मासमें अण्ड बहुधा अण्डकोषमें पहुँच जाते हैं। दस मासका गर्भ--इसकी लम्बाई २० इंचके लगभग और वजन सवा तीनसे साढ़े तीन सेरके करीब होता है । शरीर पूरा बन जाता है । हाथोंकी अँगुलियोंके नाखून पोरुओंसे अलग दीखते हैं। पैरकी उँगलियोंके नख पोरुओं तक रहते हैं। आगे नहीं बढ़े रहते । टटरीके बाल १ इंच लम्बे होते हैं । अगर बालक जीता हुआ पैदा होता है, तो वह जोरसे चिल्लाता है और यदि उसके होठोंमें कोई चीज़ दी जाती है, तो वह उसे चूसनेकी चेष्टा करता है । For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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