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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा--प्रसूतिका-चिकित्सा। ५१६ कफ दृषित दूधके लक्षण । अगर दूध गाढ़ा और लसदार हो तथा पानीमें डालनेसे डूब जाय, तो उसे कफ-दूषित समझो । त्रिदोष-दूषित दूधके लक्षण । अगर दो दोषोंके लक्षण दीखें, तो दूधको दो दोषोंसे और तीन दोषोंके लक्षण हों, तो तीन दोषोंसे दूषित समझो। किसीने लिखा है-अगर दूध आम समेत, मलके समान, पानी-जैसा, अनेक रंगवाला हो और पानी में डालनेसे आधा ऊपर रहे और आधा नीचे चला जाय, तो उसे त्रिदोषज समझो । . उत्तम दूधके लक्षण । । जो दूध पानीमें डालनेसे मिल जाय, पाण्डुरङ्गका हो, मधुर और निर्मल हो, वह निर्दोष है । ऐसा ही दूध बालकके पीने योग्य है। बालकोंके रोगोंसे दूधके दोष जानने की तरकीय । अगर दूध पीनेवाले बालककी आवाज़ बैठ गई हो, शरीर दुबला हो गया हो, उसके मलमूत्र और अधोवायु रुक जाते हों, तो समझो कि दूध वायुसे दूषित है। अगर बालकके शरीरमें पसीने आते हों, पतले दस्त लगते हों, कामला रोग हो गया हो, प्यास लगती हो, सारे शरीरमें गरमी लगती हो तथा पित्तकी और भी तकलीफें हों, तो समझो कि दूध पित्तसे दूषित है। . अगर बालकके मुंहसे लार बहुत गिरती हो, नींद बहुत आती हो, शरीर भारी रहता हो, सूजन हो, नेत्र टेढ़े हों और वह वमन या कय करता हो, तो समझो कि दूध कफप्से दूषित है ।........ .. For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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