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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय । (६) मालतीकी जड़को माठेके साथ पीसकर, फिर उसमें घी और शहद मिलाकर सेवन करनेसे प्रसूताका बढ़ा हुआ पेट छोटा हो जाता है। . (१०) आमले और हल्दीको एकत्र पीस-छानकर सेवन करनेसे प्रसूताका बढ़ा हुआ पेट छोटा हो जाता है । स्तन और स्तन्य-रोगनाशक उपाय। NORDC9514 स्तन रोगके कारण और भेद । Ye % धवाली या बिना दूधवाली स्त्रीके स्तनोंमें दोष पहुँचदू कर खून और मांसको दूषित करके "स्तन रोग" करते * हैं। यह स्तन रोग कन्याओंको नहीं होता। क्योंकि कन्याओंके स्तनोंकी धमनी रुकी हुई होती है, इसलिये उनमें दोषोंका सञ्चार नहीं होता और इसीसे उनके स्तनको स्तन-रोग नहीं होते। "सुश्रत में लिखा है: धमन्यः संवृतद्वाराः कन्यानां स्तनसंश्रिताः । दोषापहरणास्तासां न भवन्ति स्तनामयाः ॥ बच्चा जननेवाली--प्रसूता और गर्भवती स्त्रियोंकी धमनियाँ स्वभावसे ही खुल जाती हैं, इसीसे स्राव करती हैं, यानी उनमेंसे दूध निकलता है। पाँच तरहके स्तनरोगोंके लक्षण, रुधिर-जन्य विद्रधिको छोड़कर, बाहरकी विद्रधिके समान होते हैं। स्तन रोग पाँच तरह के होते हैं: (१) वातजन्य । (२) पित्तजन्य । For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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