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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ___www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा--प्रसव-विलम्ब-चिकित्सा । ४७७ जिक्र किया गया है, लिखा है-साँपकी काँचली और कबूतरकी बीट-इन दोनोंको मिलाकर, योनिमें इनकी धूनी देनेसे बच्चा फौरन ही निकल आता है । अकेली साँपकी काँचलीकी धूनी भी काफी है। अगर यह उपाय फेल हो जाय, मरा हुआ बच्चा न निकले, तो फिर दाईको हाथ डालकर ही जेर या बच्चा निकालना चाहिये । (६) बाबूनेके नौ माशे फूलोंका काढ़ा बना और छानकर, उसमें ३ माशे “शहद मिलाकर स्त्रीको पिला देनेसे बचा सुखसे हो जाता है। (७) बच्चा जननेवाली के बायें हाथमें “मकनातीसी पत्थर" रखनेसे बच्चा सुखसे हो जाता है । "इलाजुल गुर्बा' के लेखक महाशय इस उपायको अपना आजमाया हुआ कहते हैं । नोट-एक यूनानी निघण्टुमें लिखा है, कि चुम्बक पत्थरको रेशमी कपड़ेमें लपेटकर स्त्रीकी बाई जाँघमें बाँधनेसे बच्चा जल्दी और आसानीसे होता है। चुम्बक पत्थरको अरबीमें "हजरत मिकनातीस" और फारसीमें 'संग अाहनरुबा' कहते हैं। यह मशहूरः पत्थर लोहेको अपनी तरफ खींचता है । अगर शरीरके किली भागमें सूई या ऐसी ही कोई चीज़, जो लोहेकी हो, घुस जाय और निकाल नेसे न निकले, तो वहाँ यही चुम्बक पत्थर रखनेसे वह बाहर आ जाती है। (८) "इलाजुल गुर्वा' में लिखा है-बच्चा जननेवालीको हींग खिलानेसे बच्चा सुखसे होता है। "तिब्बे अकबरी" में हींगको जुन्देबेदस्तरमें मिलाकर खिलाना जियादा गुणकारी लिखा है। (E) योनिमें मनुष्यके सिरके बालोंकी धूनी देनेसे बच्चा जनने में विशेष कष्ट नहीं होता। (१०) करिहारीकी जड़, रेशमके धागेमें बाँधकर, स्त्री अपने बायें हाथमें बाँध ले, तो बच्चा जनते समयका कष्ट व पीड़ा दूर हो जाय । परीक्षित है। (११) सूरजमुखीकी जड़ और पाटलाकी जड़ गर्भिणीके कण्ठमें बाँध देनेसे बच्चा सुखसे हो जाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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