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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय । तीसरा महीना। तीसरे महीनेमें--वंदा, फूल प्रियंगू, कंगुनी और सफेद सारिवा-- इनमेंसे जो मिलें, उनका एक तोले कल्क दूधमें घोलकर पिलाओ। चौथा महीना । चौथे महीनेमें-सफेद सारिवा, काला सारिवा, रास्ना, भारंगी और मुलेठी-इनमेंसे जो मिलें, उनका एक तोले कल्क दूधमें घोलकर पिलाओ। पाँचवाँ महीना । पाँचवें महीनेमें -कटेरी, बड़ी कटेरी, कुम्भेर, बड़ आदि दूधवाले वृक्षोंकी बहुत-सी छोटी-छोटी कोंपलें और छाल-इनमेंसे जो-जो मिलें, उन सबका एक तोले कल्क दूधमें घोलकर पिलाओ। छठा महीना। छठे महीनेमें-पिठवन, बच, सहजना, गोखरू और कुम्भेर-- इनको एक तोले कल्क दूधमें घोलकर पिलाओ । सातवाँ महीना। सातवें महीनेमें-सिंघाड़े, कमलकन्द, दाख, कसेरू, मुलेठी और मिश्री-इनमेंसे जो मिलें, उनका एक तोले कल्क दूधमें घोलकर पिलाओ। नोट-सातों महीनोंमें, दवाओंको शीतल जलमें पीसकर और दूधमें मिला कर पिलानेसे गर्भस्राव और गर्भपात नहीं होता । इसके सिवाय, गर्भ-सम्बन्धी शूल भी नष्ट हो जाता है। आठवाँ महीना। आठवें महीनेमें--कैथ, कटाई बेल, परवल , ईख और कटेरी-इन सबकी जड़ोंको शीतल जलमें पीसकर, एक तोले कल्क तैयार कर लो। फिर इस कल्कको १२८ तोले जल और ३२ तोले दूधमें डालकर, पकाओ । जब पानी जलकर दूध-मात्र रह जाय, छानकर पिलाओ। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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