SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ चिकित्सा-चन्द्रोदय । Amma जब विष पक्काशयमें पहुँच जाता है, तब पक्वाशयमें पीड़ा होती है, आँतें बोलती हैं, हिचकियाँ चलती हैं और खाँसी आती है। मतलब यह है, कि पहले तोन वेगोंके समय विष 'आमाशय में और पिछले चारों-चौथेसे सातवें तकवेगोंमें 'पक्वाशय में रहता है। (४) चौथे वेगमें,-सिर बहुत भारी होकर झुक जाता है। (५) पाँचवें वेगमें,-मुँहसे कफ गिरने लगता है, शरीरका रंग बिगड़ जाता है और सन्धियों या जोड़ोंमें फूटनी-सी होती है। इस वेगमें वात, पित्त, कफ और रक्त-चारों दोष कुपित हो जाते हैं और पक्काशयमें दर्द होता है। (६) छठे वेगमें,-बुद्धिका नाश हो जाता है, किसी तरहका होश या ज्ञान नहीं रहता और दस्त-पर-दस्त होते हैं । (७) सातवें वेगमें,--पीठ, कमर और कन्धे टूट जाते हैं तथा साँस रुक जाता है। आजकल भारतकी सभी भाषाओं में बङ्गला भाषा सबसे बढ़ीचढ़ी है। उसका साहित्य सब तरहसे भरा-पूरा है। अतः सभी विद्वान् या विद्या-व्यसनी बङ्गला पढ़ना चाहते हैं। उन्होंके लिये हमने "बँगला-हिन्दी-शिक्षा" नामक ग्रन्थके तीन भाग निकाले हैं। इनसे हजारों आदमी बङ्गला भाषा सीख-सीखकर बङ्गला-ग्रन्थ पढ़ने-समझने लगे। अनेक लोग बङ्गला-ग्रन्थोंका अनुवाद कर-करके, सैकड़ों रुपया माहवारी पैदा करने लगे। इस ग्रन्थमें यह खूबी है, कि यह बिना उस्तादके तीन-चार महीनेमें बङ्गला सिखा देता है। तीन भाग हैं, पहलेका दाम १), दूसरेका १) और तीसरेका १) है। तीनों एक साथ लेनेसे डाकखर्च माक। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy