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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज। ४३५ निमन्त्रण दे श्रावे। फिर जब पुष्य, हस्त या मूल नक्षत्रोंमेंसे कोई नक्षत्र भावे, तब मंत्र पढ़कर उसे उखाड़ लावे और पीछे न देखे । शास्त्रोंमें लक्ष्मणा लेनकी यही विधि लिखी है। महर्षि वाग्भट्टने इस मौक़ की कई बातें अच्छी लिखी हैं:--. वैद्य, पुष्य नक्षत्रोंमें, सोने-चाँदी या लोहेका पुतला बनाकर, उसे श्रागमें तपाकर लाल करले और फिर उसे दूधमें बुझा दे । फिर पुतलेको निकालकर उस दूधमें से एक अञ्जलि या पाठ तोले दूध स्त्रीको पिला दे। साथ ही गोरदण्ड, अपामार्ग--ोंगा, जीवक, ऋषभक और श्वेतकुरंटा--इनमेंसे एक, दो, तीन या सबको जलमें पोसकर स्त्रीको पुष्य नक्षत्र में पिलावे, तो पुत्रकी प्राप्ति हो। और भी लिखा है: क्षीरेण श्वेतबहतीमूलं नासापुटे स्वयम् । पुत्रार्थ दक्षिणे सिञ्चद्वामे दुहित्वाञ्छया ॥ पयसा लक्ष्मणामूलं पुत्रोत्पादस्थितिप्रदम् । . नासयाऽऽस्येन वा पीतं वटशृंगाष्टकं तथा । ओषधी वनींयाश्च बाह्यान्तरुपयोजयेत् ॥ . सफ़ेद कटेहलीकी जड़को स्त्री स्वयं ही दूधमें पीसकर, पुत्रके लिये नाकके दाहने नथने में और कन्याके लिये बाँये नथने में सींचे। पुत्र देनेवाली लक्ष्मणाकी जड़को स्त्री दूधमें पीसकर नाकसे या मुंहसे पीवे । इसके सिवा, बड़के अंकुर प्रभृति अष्टकोंको भी नाक या मुंह द्वारा पीवे एवं जीवनीयगणकी दसों दवाओंको स्नान और उबटनके काममें लावे तथा भोजन और पानमें भी ले, तो जिसके पुत्र न होता होगा पुत्र होगा और होकर मर जाता होगा तो न मरेगा । जिसके गर्भ न रहता हो या रहकर गिर जाता हो उसको,यदि किसी उपायसे गर्भ रह जाय, तो वह उसी दिन या तीन दिनके अन्दर लक्ष्मणाकी जड़, बड़की कोंपल, पीले फूलकी कंगही अथवा साद फूलका बरियारा-इन चारोंमेंसे जो मिल जाय, उसे बछड़ेवाली गायके दूधमें पीसकर, पुत्रकी इच्छासे, अपनी नाकके दाहिने छेदमें सींचे । अगर कन्याकी इच्छा हो, तो बायें नथने में सींचे । अगर दवा नाकमें डालनेसे गलेमें उतर जाय तो हर्ज नहीं, पर उसे भूलकर भी थूकना ठीक नहीं। इन उपायोंसे गर्भ पुष्ट हो जाता है, गिरनेका भय नहीं रहता । पर, जिस गायका दूध पिया जाय, उसका और बछड़ेका रंग एक ही होना चाहिये । परीक्षित है। बड़का अष्टक, बड़का फुनगा या कोंपल, पीले फूलकी कंगही या गुलसकरी For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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