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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८८ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (८) कपूर, भिलावे, शंखका चूर्ण, जवाखार, मैनशिल और हरताल--इसमें पकाया हुआ तेल क्षण-भरमें बालोंको उड़ा देता है । इसका नाम "कर्पूरादि तैल" है । “चक्रदत्त"में कहा है:कर्पूर भल्लातक शंखचूर्ण क्षारो यवानां च मनःशिलाच । तैलं विपक्वं हरितालमिश्रं रोमाणि निर्मूलयति क्षणेन ॥ __ नोट--कपूरादि पाँच दवाओंको, पानीके साथ सिलपर पीसकर, लुगदी बना लो, फिर तेल पका लो । तेल पक जानेपर, इस तेलमें "हरताल" पीसकर मिला दो और बालोंकी जगह लेप करो-यही मतलब है। () सीपी, छोटा शंख, बड़ा शंख, पीली लोध, घंटा और पाटली-वृक्ष-इन सबको जलाकर क्षार बना लो। इस क्षारमें गधेका पेशाब डालकर घोटो और जितना क्षार हो उसका पाँचवाँ भाग "कड़वा तेल" मिला दो और आगपर पका लो। : यह "क्षार तैल" श्रात्रेय मुनिका पूजित और महलोंमें देने योग्य है । जहाँ इसकी एक बूंद गिर जाती है, वहाँ बाल फिर पैदा नहीं होते । इससे बवासीरके मस्से, दाद, खाज और कोढ़ प्रभृति भी आराम हो जाते हैं। -- (१०) शंखका चूर्ण दो भाग और हरताल एक भाग, इन दोनोंको एकत्र पीसकर लेप करनेसे बाल गिर जाते हैं। : (११) कसूमका तेल और थूहरका दूध-दोनोंको मिलाकर लेप करनेसे बाल गिर जाते हैं। (१२ ) केलेकी राख और श्योनाकके पत्तोंकी राख, हरताल, नमक और छोंकरके बीज-इनको एकत्र पीसकर लेप करनेसे बाल गिर जाते हैं। (१३) हरताल १ भाग, शंखका चूर्ण ५ भाग और ढाककी राख १ भाग--इन सबको मिलाकर लेप करनेसे बाल गिर जाते हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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