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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-योनिरोग । ३८१ . बूढ़ी स्त्रीकी भी योनि--मैनफल, शहद और कपूरको योनिमें लगानेसे, अत्यन्त सुन्दर और तंग हो जाती है । (२६) माजूफल, शहद और कपूर-इनको पीसकर, अँगुलीसे, योनिमें लगानेसे गिरी हुई योनि ठीक हो जाती है, नसें सीधी होती और वह सुकड़कर तंग हो जाती है । परीक्षित है। (२७) इन्द्रायणकी जड़ और सोंठ-इन दोनोंको "बकरीके घी में पीसकर, योनिमें लेप करनेसे, योनिका शूल या दर्द शीघ्र ही नाश हो जाता है। "वैद्यजीवन"-कर्ता अपनी कान्तासे कहते हैं-- तरुण्युत्तरणीमूलं छागोसर्पिःसनागरम् । शिवशस्त्राभिधांबाधां योनिस्थाहन्तिसत्वरम् ॥ अर्थ वही है जो ऊपर लिखा है । (२८) कलौंजीकी जड़के लेपसे, भीतर घुसी हुई योनि बाहर आती और चूहेके मांस-रसकी मालिशसे बाहर आई हुई योनि भीतर जाती है। (२६ ) पंचपल्लव, मुलहटी और मालतीके फूलोंको घीमें डालकर, घीको घाममें पका लो। इस घीसे योनिकी दुर्गन्ध नाश हो जाती है । (३०) योनिको चुपड़कर, उसमें बालछड़का कल्क जरा गरम करके रखनेसे, वातकी योनि-पीड़ा शान्त हो जाती है। (३१) पित्तसे पीड़ित हुई योनिवाली स्त्रीको, पञ्चबल्कलका कल्क योनिमें रखना चाहिये। . (३२) चूहीके मांसको तेलमें डालकर, धूपमें पका लो। फिर इसकी योनिमें मालिश करो और चूहीके मांसमें सैंधानोन मिलाकर योनिको इसका बफारा दो। इन उपायोंसे योनिका मस्सा नाश हो जायगा । (३३) शालई, मदनमंजरी, जामुन और धव--इनकी छाल और पंचबल्कलकी छाल--इन सबका काढ़ा करके तेल पकाओ। फिर उसमें रूईका फाहा तर करके योनिमें रक्खो । इससे विप्लुता योनिरोग जाता रहता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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