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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Sannyand स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-योनिरोग। कर, मन्दाग्निसे पका लो । जब पानी जलकर तेल-मात्र रह जाय, उतारकर छान लो और शीशी में रख दो । इस तेलमें फाहा भिगोकर, योनिमें रखनेसे, योनि-सम्बन्धी रोग निश्चय ही नाश हो जाते हैं। नोट-चूहेके मांसको तेलमें पकाकर, तेल छान लेनेसे भी काम निकल जाता है । इस चूहेके तेलका फाहा योनिमें रखनेसे योन्यर्श--योनिका मस्सा और योनिकन्द--गर्भाशयके ऊपरका मांसकन्द निश्चय ही आराम हो जाते हैं; पर जब तक पूरा आराम न हो, सबके साथ इसे लगाते रहना चाहिये। (१२.चूहेको भूभलमें दाबकर, उसका आम-बैंगन प्रभृतिकी तरह भरता कर लो । जब भरता हो जाय, उसमें सेंधानोन बारीक पीसकर मिला दो । उस भरतेके योनिमें रखनेसे योनिकन्द-गर्भाशयपर गाँठसी हो जानेका रोग-निस्सन्देह नाश हो जाता है, पर देर लगती है। नं० ११ की तरह योनि का मस्सा भी इसी भरतेसे नष्ट हो जाता है।। नोट--नं० ११ और १२ नुसन' परीक्षित हैं। अगर योन्यश--योनिके मस्से और योनिकन्द--यानिकी गाँठ श्राराम करनी हो,तो आप नं० ११ या १२ से अवश्य काम लें । इन दोनों रोगोंमें चूहेका तेल और भरता. अकसीरका काम करते हैं। (१३) करेलेकी जड़को पीसकर, योनिमें उसका लेप करनेसे, भीतरको घुसी हुई योनि बाहर निकल आती है। ... .. (५४) योनिमें चूहेकी चरबी का लेप करनेसे, बाहर निकली हुई योनि भीतर घुस जाती है। (१५) पीपर, कालीमिर्च, उड़द, शतावर, कूट और सेंधानोनइन सबको महीन पीस कूटकर छान लो । फिर इस छने चूर्णको सिलपर रख और पानीके साथ पीसकर, अँगूठे-समान बत्तियाँ बनाबनाकर छायामें सुखा लो। इन बत्तियोंके नित्य योनिमें रखनेसे कफसम्बन्धी योनि-रोग-अत्यानन्दा, कर्णिका, चरणा और अतिचरणा एवं कर्फजा योनि-रोग-निस्सन्देह नष्ट हो जाते और योनि बिल्कुल शुद्ध हो जाती है । यह योग हमारा आजमूदा है। ४८ For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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