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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाता है। ३५२ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (४२) आमलोंके कल्कको पानीमें मिलाकर, ऊपरसे शहद और मिश्री डालकर पीनेसे प्रदर रोग जाता रहता है। (४३) धायके फूल, बहेड़े और आमलेके स्वरसमें "शहद" डालकर पीनेसे प्रदर रोग नाश हो जाता है। (४४) मकोयकी जड़ चाँवलोंके धोवनके साथ, पीनेसे पाण्डुप्रदर आराम हो जाता है। (४५) दारुहल्दी, रसौत, अड़सा, नागरमोथा, चिरायता, बेलगिरी, शुद्ध भिलावे और कमोदिनी-इनको बराबर-बराबर कुल दो या अढ़ाई तोले देकर काढ़ा बना लो। शीतल होनेपर छानकर "शहद" मिला दो। इस काढ़ेके पीनेसे शूल-समेत दारुण प्रदर रोग आराम हो जाता है। काले, पीले, नीले, लाल या अति लाल एवं सफ़ेद सब तरहके प्रदर रोग या योनिसे खून गिरनेके रोग इस नुसनेसे आराम हो जाते हैं । योनिसे बहता हुआ खून फौरन बन्द हो जाता है । परीक्षित है। ____नोट-भिलावोंको शोधकर लेना ज़रूरी है । हम काढ़ा बनाकर और ६ माशे मिश्री मिलाकर बहुत देते हैं। परीक्षित है। (४६) भारंगी और सोंठके काढ़ेमें "शहद मिलाकर पीनेसे प्रदर रोगवालीका श्वास और प्रदर दोनों आराम हो जाते हैं । अच्छा नुसखा है। (४७) दशमूलकी दशों दवाओंको, चाँवलोंके पानीमें पीसकर, पीनेसे प्रदर रोग नाश हो जाता है । ३ दिन पीनेसे चमत्कार दीखता है। (४८) काली गूगल या कठूमरके फल लाकर रस निकाल लो। फिर उस रसमें "शहद" मिलाकर पीओ। इसपर खाँड़ और दूधके साथ भोजन करो । भगवान् चाहेंगे, तो इस नुसनेसे प्रदर रोग सेग अवश्य नष्ट हो जायगा। नोट--कठूमर और कठगूलरि गूलरके भेद हैं। कठूमर शीतल, कसैला तथा दाह, रक्कातिसार, मुँह और नाकसे खून गिरनेको रोकता है । इस पर फूल नहीं पाते, For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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