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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३२४ चिकित्सा चन्द्रोदय | अगर इनसे बचना चाहो तो नीचे लिखे उपाय करो: ( १ ) बिस्तर, तकिये और गद्द े खूब साफ़ रखो । उन्हें दूसरे - तीसरे दिन देखते रहो। चादरोंको रोज या दूसरे-तीसरे दिन धो लो या धुलवा लो । पलंगों पर किरमिच या और कोई कपड़ा इस तरह मढ़वालो, कि खटमलोंके रहनेको जगह न मिले । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २ ) जब सफ़ेदी कराओ, चूने में थोड़ी-सी गन्धक भी मिला दो । इस तरह सफ़ेदी करानेसे खटमल दीवारों में न रहेंगे । (३) घर और खाटों में गन्धककी धूनी दो । ( ४ ) जिन चीजों से ये न निकलते हों, उनमें गन्धकका धूआँ पहुँचाओ । अथवा मरुवेके काढ़े में नीलाथोथा मिलाकर, उस पानी से उन्हें धो डालो और घरको भी उसी जलसे धोओ । मरुवे और गन्धककी बू खटमलों को पसन्द नहीं । OOOOOOO... 30005 000000000 शेर और चीतेके किये जख्मोंकी चिकित्सा | 0000000 गसेनमें लिखा है, - बाघ, सिंह, भेड़िया, गीदड़, कुत्ता, चौपाये जानवर और जंगली आदमियोंके नाखूनों और दाँतों में विष होता है । इनके नाखूनों और दाँतोंसे घाव होकर, वह स्थान सूज जाता और खून बहता तथा ज्वर हो आता है । " तिब्बे अकबरी' में लिखा है, चीते और शेर प्रभृति जानवरों के दाँतों और पंजों में ज़हर होता है । अतः पहले पछने लगाकर विष निकालना चाहिये, उसके बाद लेप वग़ैरः करने चाहियें । ( १ ) चाय औटाकर, उसीसे शेरका किया हुआ घाव धोओ। फ़ौरन आराम होगा। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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