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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१० चिकित्सा-चन्द्रोदय । रहता है, शरीर लाल हो जाता है, अन्तमें रोने लगता है और पानीसे डरकर भागता है, क्योंकि पानीमें उसे कुत्ता दीखता है । उसके शरीरमें शीतल पसीने आते, बेहोशी होती और वह मर जाता है । कभी-कभी इन लक्षणोंके होनेसे पहले ही मर जाता है। कभी-कभी कुत्त की तरह दूँ कता है अथवा बोल ही नहीं सकता। उसके पेशाब द्वारा छोटासा जानवर पिल्लेकी-सी सूरतमें निकलता हैं। पेशाब कभी-कभी काला और पतला होता है । किसी-किसीका पेशाब बन्द ही हो जाता है । वह दूसरे आदमीको काटना चाहता है। अगर काँचमें अपना मुँह देखता है, तो नहीं पहचानता, क्योंकि उसे काँचमें कुत्ता दीखता है, इसलिये वह काँचसे भी पानीकी तरह डरता है । जो कुत्तेका काटा आदमी पानीसे डरता है, उसके बचनेकी आशा नहीं रहती। . बहुत बार, बावले कुत्तेके काटनेके सात दिन बाद आदमीकी दशा बदलती है । किसी-किसीकी छै महीने या चालीस दिन बाद बदलती है । कोई-कोई हकीम कहते हैं कि सात बरस बाद भी कुत्तेके काटेके चिह्न प्रकट होते हैं। - बावले कुत्ते या स्यार आदिका काटा हुआ आदमी- दशा बिगड़ जानेपर-जिसे काटता है, वह भी वैसा ही हो जाता है । इतना नहीं, जो मनुष्य बावले कुत्ते के काटे हुए आदमीका झूठा पानी पीता या झूठा खाता है, वह वैसा ही हो जाता है। नोट-यही वजह है कि, हिन्दुओंमें किसीका भी-यहाँ तक कि माँ-बाप तकका भी झूठा खाना मना है। झूठा खानेसे एक मनुष्यके रोग-दोष दूसरेमें चले जाते हैं और बुद्धि नष्ट हो जाती है। सभी जानते हैं, कि कोढ़ीका झूठा खानेसे मनुष्य कोढ़ी हो जाता है। जिसे बावला कुत्ता काटता है, उसकी हालत जल्दी ही एक तरहके उन्मादी या पागलकी-सी हो जाती है। अगर यह हालत जोरपर होती है, तो रोगी नहीं जीता; अतः ऐसे आदमीके इलाजमें देर न करनी चाहिये। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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