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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीट-विष-चिकित्सा ।. ३०३ ... (५) चौलाईकी जड़को पीसकर, गायके घीके साथ, पीनेसे कीड़ोंका विष नाश हो जाता है । .. (६) तुलसीके पत्ते और मुलहटीको पानीके साथ पीसकर पीनेसे. कीड़ोंका ज़हर नाश हो जाता है। (७) सिरस, कटभी, अर्जुन, बेल, पीपर, पाखर, बड़, गूलर, और पारस पीपल, इन सबकी छालोंको पीसकर पीने और इन्हींका लेप करनेसे जौंकका विष शान्त हो जाता है। (८) हुलहुलके बीज २० माशे पीसकर खानेसे सभी तरहका कीट-विष नाश हो जाता है। (६) हल्दी, दारुहल्दी और गेरू-इनको महीन पीसकर, लेप करनेसे नाखूनों और दाँतोंका विष शान्त हो जाता है। परीक्षित है । (१०) कीड़ोंके काटे हुए स्थान पर तत्काल आदमीके पेशाबके तरड़े देने या सींचनेसे लाभ होता है। ___ (११) सिरस, मालकाँगनी, अर्जुनवृक्षकी छाल, ल्हिसौड़ेकी छाल और बड़, पीपर, गूगल, पाखर और पारस पीपल-इन सबकी छालोंको पानीमें पीसकर पीने और इन्हींका लेप करनेसे जौंकका जहर नष्ट हो जाता है। परीक्षित है। . नोट-ज़हरीले कीड़ोंके काटनेपर, काटे हुए स्थानका खून अगर जॉक लगवा कर निकलवा दिया जाय और पीछे लेप किया जाय, तो बहुत ही जल्दी लाभ हो। (१२) सिरसकी जड़, सिरसके फूल, सिरसके पत्ते और सिरसकी छाल तथा सिरसके बीज-इनका काढ़ा बनालो। फिर इसमें सोंठ, मिर्च, पीपर और सेंधानोन मिला लो । शेषमें शहद भी मिला लो और पीओ। "सुश्रुत में लिखा है, कीट-विषपर यह अच्छा योग है। (१३) बर्र, ततैया, कनखजूरा, बिच्छू, डाँस, मक्खी और चींटी आदिके विषपर “अर्क कपूर" लगाना बहुत ही अच्छा है। परीक्षित है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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