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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४२ , चिकित्सा-चन्द्रोदय । लेकर, जरासे पानीके साथ हथेलियोंमें ही रगड़कर सुंघाते हैं। इसकी तैयारीमें पाँच मिनिटसे अधिक नहीं लगते । (६५) सूखी तमाखू थोड़ी-सी पानीमें भिगो दो, कुछ देर बाद उसे मलकर साँपके काटे हुएको पिलाओ। इस तरह कई बार पिलानेसे साँपका काटा हुआ बच जाता है। ____ नोट-कहते हैं, ऊपरकी विधिसे तमाखू भिगोकर और ३ घण्टे बाद उसका रस निचोड़कर, उस रसको हाथोंमें खूब लपेट कर, मनुष्य साँपको पकड़ सकता है । अगर यही रस साँपके मुंहमें लगा दिया जाय, तो उसकी काटनेकी शक्कि ही नष्ट हो जाय। (६६) नीलाथोथा महीन पीसकर और पानीमें घोलकर पिलानेसे साँपका काटा बच जाता है। ..(६७) आमकी गुठलीके भीतरकी बिजलीको पीसकर, साँपके काटे हुएको फँका दो और ऊपरसे गरम पानी पिला दो। इस दवासे क्रय होगी। कय होनेसे ही विष नष्ट हो जायगा। जब क़य होना बन्द हो जाय, दवा पिलाना बन्द कर दो। जब तक क़य होती रहें, इस दवाको बारम्बार फँकाो । एक बार फँकानेसेही आराम नहीं हो जायगा । एक मित्रका परीक्षित योग है। . (६८) बानरी घासका रस निकालकर साँपके काटे हुए आदमीको पिलाओ। इसी रसको उसके नाक और कानोंमें डालो तथा इसीको साँपके काटे हुए स्थानपर लगाओ। इस तरह करनेसे साँपका जहर फौरन उतर जाता है। .. नोट-यह नुसखा हमें “वैद्यकल्पतरु में लिखा मिला है। लेखक महोदय इसे अपना परीक्षित कहते हैं । बानरी घासका बॅदरिया या कुत्ता घास कहते हैं। इसका पौधा काँगनीके जैसा होता है, और काँगनीके समान ही बाल लगती हैं। यह कपड़ा छूते ही चिपट जाती है और वर्षाकालमें ही पैदा होती है, अतः इस घासका रस निकालकर शीशीमें रख लेना चाहिये। . (६६) "वृन्द-वैद्यक"में लिखा है, लोग कहते हैं, जिसे साँप काटे वह अगर उसी समयं साँपको पकड़कर काट खाय अथवा तत्काल For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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